वेदिक साहित्य के बाद मैरे विचार (१) पूर्व मीमांसा दर्शन - शबर स्वामी, कुमारील भट्ट और मण्डन मिश्र और महर्षि दयानन्द सरस्वती जी। की विचारधारा। (माध्वाचार्य को नही पढ़ा।)
उत्तर मीमांसा दर्शन - आद्य शंकराचार्य, सुरेश्वराचार्य, और वाचस्पति मिश्र की विचारधारा।
श्रीमद्भगवद्गीता - ग.वा. कविश्वर और रामसुखदास जी महाराज की विचारधारा से अत्यधिक प्रभावित है।
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