शुक्रवार, 9 जून 2023

यात्रा मुहुर्त में विशेष योगिनी, दिशाशूल, कालराहु और चन्द्रमा का विचार

योगिनी तिथि से चलती है।

योगिनी सुखदा वामे, 
पृष्ठे वाञ्छित दायिनी;
दक्षिणे धन हन्त्रीच, सम्मुखेमरणप्रदा।

प्रतिपदा और नवमी को पूर्व में योगिनी रहती है अतः पूर्व और दक्षिण और आग्नेय (दक्षिण पूर्व) की यात्रा न करें।
उत्तर की यात्रा सुखद और पश्चिम की यात्रा वाञ्छित दायिनी रहेगी।
ऐसे ही आगे भी समझें ---
तृतीया एकादशी को आग्नेय कोण (दक्षिण पूर्व) में योगिनी होती है। अतः आग्नेय और नैऋत्य (दक्षिण पश्चिम) तथा दक्षिण में यात्रा न करें।
ईशान की यात्रा सुखद और वायव्य की यात्रा वाञ्छित दायिनी रहेगी।

पञ्चमी और त्रयोदशी को दक्षिण में योगिनी होती है। अतः दक्षिण, पश्चिम और नैऋत्य (दक्षिण पश्चिम) में यात्रा वर्जित है।
पूर्व की यात्रा सुखद और उत्तर की यात्रा वाञ्छित दायिनी रहेगी।

चतुर्थी एवम् द्वादशी को नैऋत्य में योगिनी होती है। अतः नैऋत्य, वायव्य (उत्तर पश्चिम) तथा दक्षिण में यात्रा न करें।
आग्नेय की यात्रा सुखद और ईशान की यात्रा वाञ्छित दायिनी रहेगी।

षष्ठी और चतुर्दशी को पश्चिम में योगिनी होती है। अतः पश्चिम, उत्तर और वायव्य (उत्तर पश्चिम) में यात्रा वर्जित है।
दक्षिण की यात्रा सुखद और पूर्व की यात्रा वाञ्छित दायिनी रहेगी।

सप्तमी और पूर्णिमा को वायव्य कोण में योगिनी होती है। अतः वायव्य, ईशान (उत्तर पूर्व) और उत्तर में यात्रा न करें।
नैऋत्य की यात्रा सुखद और आग्नेय की यात्रा वाञ्छित दायिनी रहेगी।

द्वितीया और दशमी तिथि को उत्तर में योगिनी होती है। अतः उत्तर, पूर्व और ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) दिशा में यात्रा वर्जित है।
पश्चिम की यात्रा सुखद और दक्षिण की यात्रा वाञ्छित दायिनी रहेगी।

अष्टमी और अमावस्या को ईशान कोण में योगिनी होती है। अतः ईशान कोण (उत्तर- पूर्व), आग्नेय कोण (दक्षिण पूर्व) और पूर्व दिशा में यात्रा की यात्रा वर्जित है।
वायव्य की यात्रा सुखद और नैऋत्य की यात्रा वाञ्छित दायिनी रहेगी।

दिशाशूल वार से चलते हैं।

दिशा"शूल वामगतम् कृत्वा,"
पृष्ठदा योगिनी यदा, चन्द्रश्चाभिमुखम्गच्छेत्, नरः सर्वार्थम् भागभवेत्।
ध्यान रखें वार सूर्योदय से सूर्योदय तक चलता है। सूर्योदय से ही प्रारम्भ होता है और सूर्योदय से ही बदलता है। रात बारह बजे Day & Date (डे और डेट) ही बदलते हैं।
तिथि, नक्षत्र और चन्द्रमा की राशि का प्रारम्भ और समाप्ति का समय लाहिरी अयनांश या चित्रा पक्षीय अयनांश वाली दृगतुल्य पञ्चाङ्ग से ही देखें।
सोमवार एवम् शनिवार को पूर्व दिशा में दिशा शूल रहता है अतः सोमवार एवम् शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा वर्जित है। और दक्षिण की यात्रा शुभद रहती है।
ऐसे ही आगे भी समझें--
गुरुवार को दक्षिण में दिशा शूल और पूर्व में शुभ।
रविवार और शुक्रवार को पश्चिम में दिशा शूल और दक्षिण में शुभ।
मंगलवार और बुधवार को उत्तर में दिशाशूल और पश्चिम में शुभ।

काल राहु-- 
काल राहु भी वार से चलते हैं।

काल राहु यात्रायाम् अग्रे पृष्ठे च वर्ज्यः।

शनिवार को पूर्व में कालराहु होता है अतः पूर्व और पश्चिम की यात्रा निषेध।
शुक्रवार को आग्नेय (दक्षिण - पूर्व) में कालराहु होता है अतः आग्नेय (दक्षिण - पूर्व) और वायव्य (उत्तर - पश्चिम) में यात्रा वर्जित है।
गुरुवार को दक्षिण में कालराहु होता है दक्षिण और उत्तर में यात्रा वर्जित है।
बुधवार को नैऋत्य (दक्षिण - पश्चिम) में कालराहु होता है अतः नैऋत्य (दक्षिण - पश्चिम) और ईशान (उत्तर - पूर्व) में यात्रा वर्जित है।
मंगलवार को पश्चिम में कालराहु होता है अतः पश्चिम और पूर्व में यात्रा वर्जित है।
सोमवार को वायव्य (उत्तर पश्चिम) में कालराहु होता है अतः वायव्य (उत्तर - पश्चिम) और नैऋत्य (दक्षिण - पश्चिम) की यात्रा वर्जित है।
रविवार को उत्तर में कालराहु होता है अतः उत्तर और दक्षिण की यात्रा वर्जित है।
(सुचना - ईशान कोण (उत्तर - पूर्व) में कालराहु नही होता है।)

चन्द्रमा -
चन्द्रमा का विचार चन्द्रमा के राशियों में भ्रमण पर आधारित है।

सम्मुखेचार्थ लाभाय, 
दक्षिणे सुख सम्पदा;
पृष्ठतः प्राण नाशाय, 
वामे चन्द्रे धन क्षयः।

आग्नेय राशियों मेष,सिंह और धनु के चन्द्रमा के समय चन्द्रमा पूर्व में रहता है। 
अतः पूर्व की यात्रा से अर्थलाभ और दक्षिण की यात्रा से सुख-सम्पदा प्राप्ति होती है।
पश्चिम की यात्रा प्राण नाशक और उत्तर की यात्रा में धनक्षय का भय रहता है।

पृथ्वी तत्वीय राशियों वृष, कन्या और मकर के चन्द्रमा के समय चन्द्रमा दक्षिण में रहता है। 
अतः दक्षिण की यात्रा से अर्थलाभ और पश्चिम की यात्रा से सुख-सम्पदा प्राप्ति होती है।
उत्तर की यात्रा प्राण नाशक और पूर्व की यात्रा में धनक्षय का भय रहता है।

वायव्य राशियों मिथुन, तुला और कुम्भ के चन्द्रमा के समय चन्द्रमा पश्चिम में रहता है। 
अतः पश्चिम की यात्रा से अर्थलाभ और उत्तर की यात्रा से सुख-सम्पदा प्राप्ति होती है।
पूर्व की यात्रा प्राण नाशक और दक्षिण की यात्रा में धनक्षय का भय रहता है।

जलीय राशियों कर्क, वृश्चिक और मीन के चन्द्रमा के समय चन्द्रमा उत्तर में रहता है। 
अतः उत्तर  की यात्रा से अर्थलाभ और पूर्व की यात्रा से सुख-सम्पदा प्राप्ति होती है।
दक्षिण की यात्रा प्राण नाशक और पश्चिम की यात्रा में धनक्षय का भय रहता है।

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