*गृहारम्भ मुहूर्त*
*गृहारम्भ मुहूर्त अर्थात भूमि पूजन कर नीव खोदनें का मुहूर्त ---*
शुभ मास --- सौर मास मेष के सुर्य में (चैत्र मास भी चलेगा), वैशाख मास, वृष के सुर्य में (ज्यैष्ठ मास भी चलेगा), कर्क के सुर्य में (आषाढ़ मास भी चलेगा), श्रावण मास, सिंह के सुर्य में (भाद्रपद मास भी चलेगा), तुला के सुर्य में (आश्विन मास भी चलेगा) कार्तिक मास, मार्गशीर्ष मास, पौष मास, माघ मास, और फाल्गुन मास में।इनके अतिरिक्त नारद के अनुसार ज्यैष्ठ, कार्तिक, और माघ मास भी शुभ कहा है।
शुभ तिथियाँ --(चन्द्र दर्शन के बाद) शुक्लपक्ष की द्वितीया, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों पक्षों की तृतीया, पञ्चमी, (षष्टि), सप्तमी, [अष्टमी], दशमी, एकादशी, {द्वादशी}, तृयोदशी, एवम् शुक्ल पक्ष में पुर्णिमा तिथि में।
(गृहप्रवेश में निषिद्ध -- सुर्य गतांश --- सुर्य की राशि (सौर मास के) गतांश 0,3,12 और 21 अर्थात अग्नि बाण छोड़कर। मूलतः ये गृह प्रवेश में निषिद्ध है, लेकिन, आजकल ले ऑउट खीँचनें में लकड़ी की खूँटियाँ प्रयोग की जाती है। और हत्थे वाले गेती-फावड़े की पूजा की जाती है। अतः अग्नि बाण का निषेध बतलाता गया है।)
शुभ वार --- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, और शनिवार में।
शुभ नक्षत्र ---वृष वास्तुचक्र अनुसार,वेध रहित चन्द्रमा इन नक्षत्रों में ---
रोहिणी, मृगशिर्ष, पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाती, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा,शतभिषा,उत्तराभाद्रपद, और रेवती नक्षत्र में।
भू शयन --- भू शयन यानी सुर्य नक्षत्र से गिन कर पाँचवा, सातवाँ,नौवाँ, बारहवाँ ,उन्नीसवाँ और 26 वाँ चन्द्र नक्षत्र छोड़ कर।
गुरु अस्त और शुक्र अस्त के तीन दिन आगे पीछे सहित गुरु अस्त और शुक्र अस्त अवधि छोड़कर।
व्यतिपात और वैधृतिपात योग छोड़कर, भद्रा (विष्टि करण) छोड़ कर।
(स्थिर लग्न में) अर्थात श्री वृष लग्न, सिंह लग्न, वृश्चिक लग्न (या फिर द्विस्वभाव लग्न में) यानी मिथुन लग्न, कन्या लग्न, धनु लग्न, और मीन लग्न में भूमिपुजन कर नीव खोदना आरम्भ करें।
*नीव भरनें का मुहूर्त ---*
नीव भरनें में और प्रथम बार शिलान्यास प्रकरण में ---
शुभ मास --- सौर मास मेष के सुर्य में (चैत्र मास भी चलेगा), वैशाख मास, वृष के सुर्य में (ज्यैष्ठ मास भी चलेगा), कर्क के सुर्य में (आषाढ़ मास भी चलेगा), श्रावण मास, सिंह के सुर्य में (भाद्रपद मास भी चलेगा), तुला के सुर्य में (आश्विन मास भी चलेगा) कार्तिक मास, मार्गशीर्ष मास, पौष मास, माघ मास, और फाल्गुन मास में।इनके अतिरिक्त नारद के अनुसार ज्यैष्ठ, कार्तिक, और माघ मास भी शुभ कहा है।
शुभ तिथियाँ --(चन्द्र दर्शन के बाद) शुक्लपक्ष की द्वितीया, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों पक्षों की तृतीया, पञ्चमी, (षष्टि), सप्तमी, [अष्टमी], दशमी, एकादशी, {द्वादशी}, तृयोदशी, एवम् शुक्ल पक्ष में पुर्णिमा तिथि में।
सुर्य गतांश --- सुर्य की राशि (सौर मास के) गतांश 02°, 11°, 20°, 29° अर्थात वर्तमान अंश 03°, 12°, 21° और 30° अर्थात अग्नि बाण छोड़कर,
मंगलवार को पड़ने वाला पञ्चक, और धनिष्ठा नक्षत्र छोड़कर।
शुभ वार --- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, और शनिवार में।
शुभ नक्षत्र ---वृष वास्तुचक्र अनुसार,वेध रहित चन्द्रमा इन नक्षत्रों में ---
रोहिणी, मृगशिर्ष, पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाती, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, _धनिष्ठा_ ,शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, और रेवती नक्षत्र में।
(धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि भय भी बतलाया जाता है।)
भू शयन --- भू शयन यानी सुर्य नक्षत्र से गिन कर पाँचवा, सातवाँ,नौवाँ, बारहवाँ ,उन्नीसवाँ और 26 वाँ चन्द्र नक्षत्र छोड़ कर।
*केवल नीव भरनें के समय के शुभ नक्षत्र ---*
अश्विनी, भरणी, रोहिणी, मृगशिर्ष, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पुर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, अनुराधा,मूल, पुर्वाषाढ़ा,उत्तराषाढ़ा, श्रवण, पुर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद,और रेवती नक्षत्र में।
गुरु अस्त और शुक्र अस्त के तीन दिन आगे पीछे सहित गुरु अस्त और शुक्र अस्त अवधि छोड़कर।
व्यतिपात और वैधृतिपात योग छोड़कर, भद्रा (विष्टि करण) छोड़ कर।
(स्थिर लग्न में) अर्थात श्री वृष लग्न, सिंह लग्न, वृश्चिक लग्न (या फिर द्विस्वभाव लग्न में) यानी मिथुन लग्न, कन्या लग्न, धनु लग्न, और मीन लग्न में।
भूमिपुजन कर नीव खोद कर नीव भरना और शिलान्यास करें।
(मुहूर्त शास्त्र में वार अनुकूल न मिलने की स्थिति में अनुकूल वार का होरा में कार्य कर सकते हैं।)
(मुहूर्त शास्त्र में चौघड़िया का कोई महत्व नही है। कालराहू भी यात्रा और संस्कार प्रकरण में टाल देना उचित मानते हैं। पर आवश्यक नही है।)
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