अर्थात विष्णु पुराण,पञ्चम अंश/ प्रथम अध्याय/ श्लोक 60 से 82 तक में उल्लेख के अनुसार
क्षीर सागर के तट पर हिरण्यगर्भ ब्रह्मा के नेतृत्व में नारायण की स्तुति करने पर प्रकट होकर नारायण ने देवताओं के समक्ष एक श्वेत और एक कृष्ण केश उखाड़कर भूमि पर पटके और कहा ये दोनों पृथ्वी पर अवतार लेकर दैत्यों का नाश करेंगे।
देवगण भी अपने अपने अंश से अवतार लेकर दैत्यों से युद्ध करें। श्लोक 60 से 63 तक।
वसुदेव के घर देवकी के आठवें गर्भ से यह श्याम केश अवतार लेगा। और कालनेमी के अवतार कंस का वध करेगा। श्लोक 64-65
फिर नारायण ने योगनिद्रा को आदेश दिया कि, शेष नामक मैरा अंश अपने अंशांश से देवकी के सातवें गर्भ में स्थित होगा। उसे वसुदेव की दुसरी पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर देना। और लोग समझेंगे कि, देवकी का गर्भपात हो गया। रोहिणी के गर्भ में संकर्षित होने से वह संकर्षण कहलाएगा। श्लोक 72 से 76 तक।
तदन्तर मैं देवकी के आठवें गर्भ में स्थित होऊँगा। उस समय तू यशोदा के गर्भ से चली जाना। श्लोक 77 तक।
श्लोक 78 --- वर्षा ऋतु में नभस मास (प्रकारान्तर से अमान्त श्रावण मास) में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को निशा (रात्रि) में जन्म लूँगा। और तू नवमी को उत्पन्न होगी। श्लोक 78
वासूदेव जी मुझे यशोदा जी के शयन गृह में ले जाएंगे और तुझे देवकी के शयनगृह में लेजाएँगे।
कंस द्वारा शिला पर पटकने पर तू आकाश मे स्थित हो जाएगी। श्लोक 79 एवम् 80
इन्द्र तुम्हें प्रणाम करेगा। फिर तुम्हें भगिनी रूप से स्वीकार करेगा। श्लोक 81
तू शुम्भ-निशुम्भ आदि सहस्रों दैत्यों का संहार कर समस्त पृथ्वी को सुशोभित करेगी। श्लोक 82
विष्णु पुराण,पञ्चम अंश/ तृतीय अध्याय/ श्लोक 26 और 27 में उल्लेख के अनुसार
योग निद्रा को कन्स द्वारा पाषाण शिला पर पटकने के प्रयत्न के समय कन्स के हाथ से छूटकर योगनिद्रा देवी आकाश में शस्त्र युक्त, अष्टभुजा देवी के स्वरूप में प्रकट हुई। श्लोक 26
और कन्स को फटकारते हुए कहा कि, तेरा वध करने वाला अन्यत्र जन्म ले चुका है। श्लोक 27
मिर्जापुर उत्तरप्रदेश मे स्थित *महामाया, योगमाया आद्य शक्ति, एकानंशा, विन्ध्यवासनी देवी* का मन्दिर है।
वैष्णव परंपरा में महामाया, योगमाया *आद्य शक्ति* , एकानंशा देवी को *नारायणी* की संज्ञा दी गई है, और वह विष्णु की माया की शक्तियों के अवतार के रूप में कार्य करती हैं।
देवी भागवत पुराण में देवी को देवी दुर्गा का परोपकारी पहलू माना गया है।
शाक्त उन्हें आदि शक्ति का रूप मानते हैं।
पुराणों के अनुसार *उनका जन्म यादव परिवार में नंद और माता यशोदा की बेटी के रूप में हुआ* था। जिन्हें कन्स ने देवकी - वसुदेव पुत्री समझ कर चट्टान पर पटक कर मारना चाहा, तो वे आकाशीय विद्युत बनकर विन्द्याचल पर स्थित हो गई।
भारतीय मानक समय मेरिडियन रेखा इस मन्दिर के निकट से ही गुजरती है। यहाँ मानक समय और स्थानीय समय में मात्र 16 सेकण्ड का ही अन्तर है।
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