शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2024

अथर्ववेदोक्त दिन और रात्रि के प्रमुख मुहूर्त और पौराणिक काल विभाजन

जहाँ भी घटि शब्द आए मतलब दिनमान या  रात्रि मान ÷30=घटि। जो लगभग 24 मिनट रहेगा।
जहाँ भी मुहूर्त शब्द आए मतलब दिनमान या रात्रि मान ÷15=मुहूर्त। लगभग 48 मिनट रहेगा।

 अभिजित मुहूर्त अर्थात दिन का आठवाँ मुहूर्त ।मध्याह्न से एक घटि (लगभग 24 मिनट) पहले से एक घटि (लगभग 24 मिनट) बाद तक। या सूर्योदय से लगभग 05 घण्टे 36 मिनट से 06 घण्टे 24 मिनट तक)

 विजय मुहूर्त मतलब दिन का ग्यारहवाँ मुहूर्त।
(दिनमान ×2/3) + सूर्योदय = विजय मुहूर्त प्रारम्भ समय। (सूर्योदय पश्चात लगभग 08 घण्टे से 08 घण्टे 24 मिनट तक।)
(दिनमान ×11/15) + सूर्योदय = विजय मुहूर्त समाप्ति समय।

 गोधूलि ऋतु पर निर्भर है। 
 हेमन्त ऋतु में सूर्यास्त के समय जब पूरा सूर्य बिम्ब दिख रहा हो। ग्रीष्म ऋतु में सूर्य का अर्धबिम्ब अस्त हो चुका हो और अर्धबिम्ब उपर दिख रहा हो। (मध्याङ्ग सूर्यास्त)। और वर्षा ऋतु में जब सूर्य बिम्ब पूर्ण अस्त हो चुका हो।
ऐसे ही एक विषय में मत मतान्तरयह भी है कि,
या तो 1 सूर्यास्त से एक मुहूर्त पहले से सूर्यास्त तक।
या 2 सूर्यास्त से एक घटि पहले से सूर्यास्त से एक घटि बाद तक। या 3 सूर्यास्त से एक मुहूर्त बाद तक।

 सायाह्न सन्ध्या --- सूर्यास्त से तीन घटि तक।
(रात्रिमान ÷10)+सूर्यास्त समय = सायाह्न सन्ध्या समाप्ति समय। (अर्थात सूर्यास्त से सूर्यास्त पश्चात लगभग 01 घण्टा 12 मिनट तक।)

 निशिता मुहूर्त --- मध्यरात्रि के एक घटि पहले से एक घटि बाद तक। या सूर्यास्त से लगभग 05 घण्टे 36 मिनट से 06 घण्टे 24 मिनट तक)

 ब्रह्म मुहूर्त --- अगले सूर्योदय से दो मुहूर्त पहले से एक मुहूर्त पहले तक। (चार घटि पहले से दो घटि पहले तक। ) (अर्थात अगले सूर्योदय से लगभग 01 घण्टा 36 मिनट से 00 घण्टा 48 मिनट पहले तक )

 प्रातः सन्ध्या --- अगले सूर्योदय से तीन घटि पहले से सूर्योदय तक। (अर्थात अगले सूर्योदय से लगभग 00 घण्टा 48 मिनट पहले से प्रारम्भ होकर सूर्योदय तक।)


काल विभाजन का अन्य प्रकार। ---

सूर्योदय से तीन मुहूर्त (02 घण्टे 24 मिनट) तक प्रातः काल।

सूर्योदय पश्चात तीन मुहूर्त (02 घण्टे 24 मिनट) से छः मुहूर्त (04 घण्टे 48 मिनट) तक सङ्गव काल।

सूर्योदय पश्चात छः मुहूर्त (04 घण्टे 48 मिनट) से नौ मुहूर्त ( 07 घण्टे 12 मिनट) तक कप मध्याह्न काल।

सूर्योदय पश्चात नौ मुहूर्त (04 घण्टे 48 मिनट) से बारह मुहूर्त ( 09 घण्टे 36 मिनट) तक अपराह्न काल।

सूर्योदय पश्चात बारह मुहूर्त (09 घण्टे 36 मिनट) से पन्द्रह मुहूर्त ( 12 घण्टे 00 मिनट) तक सायाह्न काल।

सूर्यास्त से तीन मुहूर्त (02 घण्टे 24 मिनट) तक प्रदोषकाल।

फिर सूर्यास्त से तीन मुहूर्त (02 घण्टे 24 मिनट) से सात मुहूर्त (05 घण्टे 36 मिनट) तक रात्रि काल । 

सूर्यास्त से सात मुहूर्त (05 घण्टे 36 मिनट) से आठवाँ मुहूर्त (06घण्टे 12 मिनट) तक निशिता काल। 
अर्थात मध्यरात्रि से एक घटि पहले से एक घटि बाद तक निशिता काल।

सूर्यास्त से आठ मुहूर्त (06 घण्टे 12 मिनट) से तेरह मुहूर्त (10 घण्टे 24 मिनट) तक रात्रि काल।

सूर्यास्त से तेरह मुहूर्त (10 घण्टे 24 मिनट) से सूर्योदय तक अरुणोदय काल।

पुनः सूर्यास्त से पाँच मुहूर्त (03 घण्टे 12 मिनट) से पाँचवाँ एक मुहूर्त सूर् का निशिता काल। अर्थात मध्यरात्रि से एक घटि पहले से एक घटि बाद तक निशिता काल।

विष्णु पुराण के अनुसार काल विभाजन के अन्तर्गत 

"काल चतुष्टय : रात्रि व्यतीत होते समय
 *सूर्योदय पूर्व 4 घण्टे से 2 घण्टे पहले तक ब्राह्म मुहूर्त रहता है।* 

 *सूर्योदय पूर्व 2 घण्टे से 1 घण्टा 12 मिनट पहले तक उषःकाल रहता है।* 

*सूर्योदय पूर्व 1 घण्टा 12 मिनट से 00 घण्टे 48 मिनट पहले तक अरुणोदय रहता है।* 

 *सूर्योदय पूर्व 00 घण्टे 48 मिनट से अगले सूर्योदय तक प्रातः काल रहता है।*


गीताप्रेस गोरखपुर की व्रत परिचय पुस्तक सर्व सुलभ है इसके पृष्ठ 17 पर भी विष्णु पुराण का कालचतुष्टय सम्बन्धित उद्धरण दिया गया है तथा लिखा गया है:

"काल चतुष्टय : 
रात्रि व्यतीत होते समय 55 घटी पर उष:काल,
 57 पर अरुणोदय, 
58 पर प्रातःकाल और 
60 पर सूर्योदय होता है।
 इसके पहले पाँच घड़ी का (अर्थात दो घण्टे का) समय 'ब्राह्म मुहूर्त' ईश्वर चिन्तन का है।

अर्थात अगले दिन के सूर्योदय से चार घण्टे पहले से दो घण्टे पहले तक के दो घण्टे का समय ब्राह्म मुहूर्त होता है।
यह अथर्ववेदोक्त ब्रह्म मुहूर्त से भिन्न हैं।

अगले दिन के सूर्योदय से 02 घण्टे पहले से 01 घण्टा 12 मिनट पहले तक 48 मिनट का समय अरुणोदय काल होता है।

अगले दिन के सूर्योदय से 01 घण्टा 12 पहले से 00 घण्टा 48 मिनट पहले तक के 24 मिनट का समय अरुणोदय काल होता है।

अगले दिन के सूर्योदय से दो घण्टे पहले से 00 घण्टा 48 मिनट पहले से सूर्योदय तक 48 मिनट का समय प्रातः काल होता है।


दिन के विभाग -
*दिन के पाँच विभाग - प्रातः, सङ्गव, मध्याह्न, अपराह्न और सायम्* 
 तै.ब्रा. 1/5/3 में
(भा.ज्यो.पृष्ठ 64)
*दिन के तीन विभाग - सङ्गव, मध्याह्न और अपराह्न चार प्रहरों की संधि या दिन के तीन विभाग बतलाये हैं।* 
शतपथ ब्राह्मण 2/2/3/9 एवम् अथ. सं. 9/6/46 में
(भा.ज्यो.पृष्ठ 65)
इससे सिद्ध होता है कि, दिनमान और रात्रिमान के भी तीन- तीन और पाँच-पाँच विभाग किये गए थे।

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