मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024

भारतीय व्यावसायिक पद्यति।

प्राचीन भारतीय संस्कृति में पण्डितों का कार्यकाल, क्षत्रियों की कचहरी, किसानों का अन्न भण्डार, व्यापारी की दुकान, मूर्तिकार, चित्रकार, सुनार, लोहार, सुतार, कुम्भकार, दर्जी आदि विश्वकर्माओं और वैद्य (फिजिशियन), नाई (सर्जन) आदि सबके वर्कशाप आदि घर में आगे ही होती थी ।
भारतीय शास्त्र भारतीय रीति-नीति के अनुसार बने हैं।
इसलिए दो अलग-अलग पूजा की आवश्यकता ही नहीं होती थी।

अंग्रेजी व्यवस्था ने घर से दूर ऑफिस और बाजार कर दिये।
इसलिए समस्या खड़ी हुई।

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