क्योंकि अधिकांश लोगों के मन मस्तिष्क में घुसा हुआ था कि, ब्रह्म मतलब सबसे बड़ा।
माना कि, ब्रह्म बड़ो से महत्तर और महा से बड़ा है, लेकिन उससे बड़ा परब्रह्म ही सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि, ब्रह्म सबसे बड़ा नहीं है।
वास्तविकता में ब्रह्म < परब्रह्म < ॐ < परमात्मा।। परमात्मा को सबसे बड़ा कह सकते हैं।
ऐसी ही समस्या महाभारत के भागवत धर्मियों के साथ भी होती है।
विष्णु परम पद है।
पद है तो वहाँ कर्म, उपासना और ज्ञान की सीढ़ी के सहारे कोई भी पहूँच सकता है।
यह उन्हें स्वीकार नहीं हुआ।
तो वैकुण्ठ के एक देश (भाग) गो लोक को उनने उच्चतम लोक कह दिया और अपने इष्टदेव श्रीकृष्ण को सर्वोच्च घोषित कर दिया।
फिर शैव क्यों पीछे रहते उनने कैलाश और शंकर को वहीं स्थान दे दिया।
शाक्तों के पास ऐसा कोई स्थान था नही। तो उनने भी एक लोक कल्पित कर अपनी इष्टदेवी पराम्बा को स्थापित कर दिया।
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