एक भारतीय के विचार
शनिवार, 11 मई 2024
साधन और मार्ग तो केवल पञ्च महायज्ञ ही है और ज्ञान तथा भक्ति तो साध्य और लक्ष्य है।
भक्ति और ज्ञान मार्ग नहीं लक्ष्य है।
भक्ति और ज्ञान साधन नहीं साध्य है।
साधन तो केवल पञ्च महायज्ञ ही है क्योंकि, वास्तविकता में अष्टाङ्ग योग भी ब्रह्मयज्ञ ही है।
अतः
साधन तो केवल पञ्च महायज्ञ ही है। बस।
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