वैदिक काल में नक्षत्र का तात्पर्य क्रान्ति वृत के आसपास उत्तर दक्षिण में नौ-नौ अंशों की नक्षत्र पट्टी में एक निश्चित आकृति बनाने वाले तारामण्डल (कांस्टिलेशन Constilation) होता था।
उस समय चित्रा नक्षत्र का केवल एक ही तारा होता था। जिसका भोगांश 00°23'31" होता है। जबकि,
स्वाती नक्षत्र का भोग 20°50'57" था, जबकि धनिष्ठा नक्षत्र का भोग 25°14'08" था; ऐसे ही सभी सत्ताइस नक्षत्रों के भोगांश असमान और अलग अलग थे। न कि, वर्तमान में प्रचलित 13°20'।"
पहले अभिजीत नक्षत्र सहित अट्ठाइस नक्षत्र मान्य थे लेकिन अभिजीत नक्षत्र क्रान्ति वृत के आसपास उत्तर दक्षिण में नौ-नौ अंशों की नक्षत्र पट्टी से दूर हो जाने के कारण अभिजीत नक्षत्र की मान्यता समाप्त करना पड़ी। और अब असमान भोगांश वाले केवल सत्ताइस नक्षत्र माने जाते हैं। लेकिन आधुनिक एस्ट्रोनॉमी में अठासी तारामण्डल (कांस्टिलेशन Constilation) माने जाते हैं। और तेरह आर्याएँ (साइन Sign) माने जाते हैं। जबकि पूर्व में बेबीलोन की तरह बारह राशियाँ (साइन Sign) मानी जाती थी।
वर्तमान भारतीय पञ्चाङ्गों में 13°20' के सत्ताइस नक्षत्र माने जाते हैं। एक चन्द्र नक्षत्र औसत 24 घण्टे 17 मिनट 09.317 सेकण्ड का होता है।
नक्षत्र निम्नानुसार हैं।---
000° से 13°20' तक अश्विनी नक्षत्र। या
00-00°00' से 00-13°20' तक अश्विनी नक्षत्र।
13°20' से 26°40' तक भरणी नक्षत्र। या
00-13°20' से 00-26°40' तक भरणी नक्षत्र।
26°40' से 40°00' तक कृतिका नक्षत्र। या
00-26°40' से 01-10°00' तक कृतिका नक्षत्र।
40°00' से 53°20' तक रोहिणी नक्षत्र। या
01-10°00' से 01-23°20' तक रोहिणी नक्षत्र।
53°20' से 66°40' तक मृगशीर्ष नक्षत्र। या
01-23°20' से 02-06°40' तक मृगशीर्ष नक्षत्र।
66°40' से 80°00' तक आर्द्रा नक्षत्र। या
02-06°40' से 02-20°00' तक आर्द्रा नक्षत्र।
80°00' से 93°20' तक पुनर्वसु नक्षत्र। या
02-20°00' से 03-03°20' तक पुनर्वसु नक्षत्र।
93°20' से 106°40' तक पुष्य नक्षत्र। या
03-03°20'' से 03-16°40' तक पुष्य नक्षत्र।
106°40' से 120°00' तक आश्लेषा नक्षत्र। या
03-16°40' से 04-00°00' तक आश्लेषा नक्षत्र।
120°00' से 133°20' तक मघा नक्षत्र। या
04-00°00' से 04-13°20' तक मघा नक्षत्र।
133°20' से 146°40' तक पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र। या
04-13°20' से 04-26°40' तक पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र।
146°40' से 160°00' तक उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र। या
04-26°40' से 05-10°00' तक उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र।
160°00' से 173°20' तक हस्त नक्षत्र। या
05-10°00' से 05-23°20' तक हस्त नक्षत्र।
173°20' से 186°40' तक चित्रा नक्षत्र। या
05-23°20' से 06-06°40' तक चित्रा नक्षत्र।
186°40' से 200°00' तक स्वाति नक्षत्र। या
06-06°40' से 06-20°00' तक स्वाति नक्षत्र।
200°00' से 213°20' तक विशाखा नक्षत्र। या
06-20°00' से 07-03°20' तक विशाखा नक्षत्र।
213°20' से 226°40' तक अनुराधा नक्षत्र। या
07-03°20' से 07-16°40' तक अनुराधा नक्षत्र।
226°40' से 240°00' तक ज्येष्ठा नक्षत्र। या
07-16°40' से 08-00°00' तक ज्येष्ठा नक्षत्र।
240°00' से 253°20' तक मूल नक्षत्र। या
08-00°00' से 08-13°20' तक मूल नक्षत्र।
253°20' से 266°40' तक पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र। या
08-13°20' से 08-26°40' तक पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र।
266°40' से 280°00' तक उत्तराषाढा नक्षत्र। या
08-26°40' से 09-10°00' तक उत्तराषाढा नक्षत्र।
280°00' से 293°20' तक श्रवण नक्षत्र। या
09-10°00' से 09-23°20' तक श्रवण नक्षत्र।
293°20' से 306°40' तक धनिष्ठा नक्षत्र। या
09-23°20' से 10-06°40' तक धनिष्ठा नक्षत्र।
306°40' से 320°00' तक शतभिषा नक्षत्र। या
10-06°40' से 10-20°00' तक शतभिषा नक्षत्र।
320°00' से 333°20' तक पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र। या
10-20°00' से 11-03°20' तक पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र।
333°20' से 346°40' तक उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र। या
11-03°20' से 11-16°40' तक उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र।
346°40' से 360°00' तक या000°00' तक रेवती नक्षत्र। या
11-16°40' से 12-00°00' तक या 00-00°00' तक रेवती नक्षत्र।
इसी प्रकार वर्तमान भारतीय पञ्चाङ्गों में तीस तीस अंशों की बारह राशियाँ मानी गई है।
बारह राशियाँ निम्नलिखित हैं।---
00° से 30° तक मेष राशि।
30° से 60° तक वृष राशि।
60° से 90° तक मिथुन राशि।
90° से 120° तक कर्क राशि।
120° से 150° तक सिंह राशि।
150° से 180° तक कन्या राशि।
180° से 210° तक तुला राशि।
210° से 240° तक वृश्चिक राशि।
240° से 270° तक धनु राशि।
270° से 300° तक मकर राशि।
300° से 330° तक कुम्भ राशि।
330° से 360° तक (या 000° तक) मीन राशि।
जब सूर्य उक्त राशियों में रहता है, उसे निरयन सौर मास कहते हैं।
वर्तमान में सूर्य का मन्दोच्च निरयन 2-19°08'37" पर है। अर्थात चित्रा तारे से 180° पर स्थित निरयन मेषादि बिन्दु से 79° 08' 37" पर है। इस कारण तीसरा महिना अर्थात मिथुन मास सबसे बड़ा होता है और धनुर्मास सबसे छोटा होता है।
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