सोमवार, 8 जनवरी 2024

सत्ताइस योग

योग ---

सायन सूर्य और सायन चन्द्रमा के अंशों का योग (जोड़) जब 180° होता है तब व्यतिपात योग होता है। और सायन सूर्य और सायन चन्द्रमा के अंशों का योग (जोड़) जब 360° या 000° होता है तब वैधृति पात योग होता है।
ये भी राहु और केतु के समान पात हैं।
लेकिन इस आधार पर सूर्य और चन्द्रमा के निरयन भोगांश के योग को सत्ताइस से विभाजित कर सत्ताइस योग बनाते हैं। जिस समय सूर्य और चन्द्रमा के निरयन भोगांश के योग में सत्ताइस का भाग लगने पर नक्षत्रों के भोगांश 13°20' या 26°40' जैसे पूरा भाग लग जाता है वह समय योग का अन्तिम घण्टा-मिनट या घटि-पल होता है और अगले योग का प्रारम्भ का समय होता है।
सत्ताइस योगों के नाम 01 विष्कुम्भ, 02 प्रीति, 03 आयुष्मान, 04 सौभाग्य, 05 शोभन, 06 अतिगण्ड, 07सुकर्मा, 08धृति, 09शूल, 10 गण्ड, 11 वृद्धि, 12 ध्रुव, 13 व्याघात, 14 हर्षण, 15 वज्र, 16 सिद्धि, 17 व्यतिपात, 18 वरियान, 19 परिघ, 20 शिव, 21 सिद्ध, 22 साध्य, 23 शुभ, 24 शुक्ल, 25 ब्रह्म, 26 इन्द्र और 27 वैधृति।
ये यथा नाम तथा फलम् माने जाते हैं। अर्थात जैसा नाम है वैसा ही फल दर्शाते हैं।

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