रविवार, 7 अप्रैल 2024

देवी उपासना के विशेष योग।

*देव्यथर्वशीर्षम् महात्म्य कथित भोमाश्विनी योग (मङ्गलवार और अश्विनी नक्षत्र, महामृत्युतारक अमृत सिद्धि योग) में ऋग्वेदोक्त देवी सूक्तम पाठ कर देव्यथर्वशीर्ष का पाठ करना महामृत्युतारक है।
देखें देव्यथर्वशीर्ष महात्म्य का अन्तिम भाग। गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित दूर्गा सप्तशती पृष्ठ १८६ से १८८ तकपर देवी सूक्तम तथा पृष्ठ ४४ से ५२ तक देव्यथर्वशीर्षम्
तथा
दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र के महात्म्य के अनुसारअमावस्या को शतभिषा नक्षत्र पर चन्द्रमा हो उस दिन मङ्गलवार हो तब दूर्गा अष्टोत्तर शतनाम लिखकर पाठ करें तो सम्पत्तिशाली होता है।
अमावस्या को चन्द्रमा शतभिषा नक्षत्र पर  होगा तो सूर्य भी शतभिषा नक्षत्र पर ही रहेगा।
शतभिषा नक्षत्र के तारे का निरयन भोग कुम्भ 17°43'09" है। और वर्तमान नक्षत्र प्रणाली में शतभिषा नक्षत्र का निरयन भोग कुम्भ 10°06'40" से कुम्भ 20°00'00" तक है। 
तदनुसार 
जब शतभिषा नक्षत्र के तारे पर अमावस्या को चन्द्रमा होगा, तो सूर्य भी शतभिषा नक्षत्र पर कुम्भ 17°43'09" पर होगा। अर्थात वर्तमान में 01 - 02 मार्च के दिन अमावस्या हो। या
वर्तमान में दिनांक 19 फरवरी से 04 मार्च के बीच होने वाली अमावस्या को जब सूर्य और चन्द्रमा शतभिषा नक्षत्र में होगा उस समय होने वाली अमावस्या अर्थात अमान्त माघ पूर्णिमान्त फाल्गुन कृष्ण अमावस्या को जब चन्द्रमा शतभिषा नक्षत्र पर हो, और उस दिन मंगलवार हो तो दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र के महात्म्य के अनुसार (अमान्त माघ पूर्णिमान्त फाल्गुन कृष्ण अमावस्या को जब चन्द्रमा शतभिषा नक्षत्र पर हो, और  मंगलवार हो तो उस दिन)  अष्टोत्तर शतनाम लिखकर पाठ करने से सम्पत्तिशाली होता है। कृपया देखें - गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित श्री दुर्गा सप्तशती पृष्ठ 09 से 12 तक।

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