*कलियुग संवत 5125 का प्रारम्भ 21 मार्च 2024 गुरुवार के सूर्योदय के साथ हो चुका है।* इसी दिन वैदिक मधुमास, ब्रह्मावर्त में वैदिक वसन्त ऋतु और उत्तरायण प्रारम्भ हुआ।
इस दिन दिन रात बराबर रहते हैं। देवताओं का सूर्योदय होता है। उत्तरी ध्रुव पर सूर्योदय होता है। वैदिक उत्तरायण प्रारम्भ, वैदिक वसन्त ऋतु प्रारम्भ और वैदिक मधुमास का प्रारम्भ होता है।
निरयन मेष संक्रान्ति से प्रारम्भ होने वाला नाक्षत्रीय नव वर्षारम्भ निरयन मेष संक्रान्ति पश्चात 14 अप्रेल 2024 रविवार को सूर्योदय से युधिष्ठिर संवत 5162 प्रारम्भ होगा। साथ ही निरयन मेष संक्रान्ति पश्चात सूर्योदय से
पञ्जाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड में वैशाखी/ वैसाखी नाम से नव वर्ष विक्रम संवत 2081 का प्रारम्भ भी होगा। नाक्षत्रीय नववर्ष बङ्गाल में नबा वर्षा या पोहेला बोईशाख के नाम से नव वर्ष मनाएंगे।, उड़िसा में पणा संक्रान्ति नाम से नववर्ष मनाएंगे। असम में बिहु नाम से नव वर्ष मनाएँगे।तमिलनाडु में पथण्डु नाम से मनिरयन मेष संक्रान्ति से नव वर्ष मनाएंगे। केरल में विषुकाणि नाम से मनाया जाएगा।
*इस दिन भूमि चित्रा तारे के सम्मुख रहने से सूर्य चित्रा तारे से 180° पर रहता है। इस कारण एक दिन पहले और इसी दिन भी चित्रा तारा सूर्यास्त के साथ उदय होगा और सूर्योदय के साथ अस्त होगा। पूरी रात चित्रा तारा आकाश में दिखता रहेगा।*
लेकिन नाक्षत्रीय नववर्ष पर्व वैदिक नव संवत्सर पर्व के समान ऋतु बद्ध नहीं है। 25778 वर्ष के चक्र में यह नव वर्ष पर्व प्रत्येक ऋतु में आयेगा।
*पौराणिक पर्व शकाब्द 1946 का प्रारम्भ दिनांक ०९ अप्रेल २०२४ मङ्गलवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सूर्योदय से होगा।*
*इस दिन वैदिक संवत्सर (वसन्त सम्पात/ सायन/ मेष संक्रान्ति) जैसी कोई विशेषता नहीं होती और नाक्षत्रीय सौर संवत प्रारम्भ दिन (निरयन मेष संक्रान्ति) जैसी कोई विशेषता भी नहीं होती।*
बल्कि इस पौराणिक नववर्ष का वास्तविक इतिहास यह है कि,⤵️
*श्रीकृष्ण के समय साम्ब के कुष्ठरोग निवारणार्थ ईरान से भारत में आये मग ब्राह्मणों के वंशज और विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक वराहमिहिर ने भारत में निरयन सौर चान्द्र वर्ष को (वर्तमान चीन के प्रान्त) पूर्वी तुर्की के शिंजियांग उइगु़र प्रान्त के निवासी उइगुर मुस्लिमों के पूर्वज शक-कुषाणों द्वारा प्रवर्तित और प्रचलित १९ वर्षीय, १२२ वर्षीय और १४१ वर्षीय चक्र वाले निरयन सौर चान्द्र वर्ष को अपनाया और पौराणिकों में लोकप्रिय बनाया।
इसी निरयन सौर चान्द्र वर्ष को पेशावर (पाकिस्तान) के क्षत्रप कुषाण वंशीय कनिष्क द्वारा मथुरा विजय के उपलक्ष्य में उत्तर भारत में प्रचलित निरयन सौर चान्द्र वर्ष शकाब्द प्रचलित किया और आन्ध्र प्रदेश के सातवाहन वंशीय गोतमीपुत्र सातकर्णी द्वारा नासिक के पास पैठण (महाराष्ट्र) पर विजयोपलक्ष्य मे दक्षिण भारत में निरयन सौर चान्द्र वर्ष शकाब्द के नाम से प्रचलित किया।*
*इस कारण उत्तर भारत में कुषाण वंश शासित क्षेत्र एवम् दक्षिण भारत में सातवाहन वंशीय शासित क्षेत्र में एवम् मराठा शासित भारतीय क्षेत्र उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश और तेलङ्गाना में नव चान्द्र वर्ष शकाब्द के नाम से प्रसिद्ध है। आन्ध्र प्रदेश में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा युगादि या उगादि कहते हैं।।जबकि महाराष्ट्र में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा कहते हैं।
लेकिन निरयन सौर वर्ष आधारित होने के कारण पौराणिक चान्द्र-सौर शकाब्द नववर्ष पर्व (वैदिक नव संवत्सर पर्व के समान) ऋतु बद्ध नहीं है। 25778 वर्ष के चक्र में यह नव वर्ष पर्व प्रत्येक ऋतु में आयेगा।
*चैत्र नवरात्र घटस्थापना मुहूर्त।*
*दिनांक ०९ अप्रेल २०२४ मङ्गलवार को इन्दौर में सूर्योदय समय 06:09 बजे से पूर्वाह्न 10:09 बजे तक।*
अधिकतम 10:22बजे तक।
अभिजित मुहूर्त 12:03 बजे से 12:54 बजे तक।
अमावस्या समाप्त हो कर प्रतिपदा प्रारम्भ दिनांक 08 अप्रैल 2024 सोमवार को 23:50 बजे से 09 अप्रैल 2024 मङ्गलवार को 20:30 बजे ( रात 08:30 बजे) तक।
वैधृति योग 09 अप्रैल 2024 मङ्गलवार को 14:18 बजे (दोपहर 02:18 बजे) तक घटस्थापना में निषिद्ध है, लेकिन इस वर्ष वैधृति योग में ही घटस्थापना करना विवशता है।।
*चेटीचण्ड मुहूर्त 18:48 (सायम् (सूर्यास्त 06:48 बजे) से 19:28 बजे (सन्ध्या 07:28 बजे) तक।*
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