रविवार, 30 मई 2021

सनातन धर्म का वैशिष्ट्य

सनातन धर्मी कहता है; ---
सर्वदेव नमस्कार केशवम् प्रतिगच्छति।
मतलब किसी को भी नमस्कार करो, सभी उस परमात्मा को ही समर्पित होते हैं।
किसी भी नाम से पुजो, किसी भी रूप में पुजो आराधना उस परमात्मा की ही होती है।
क्यों कि, उसको छोड़कर तो कुछ हे ही नही।
श्रीमदभगवदगीता में विष्णु स्वरूप में स्थित हो श्रीकृष्ण कहते हैं जो भी पुजा आराधना जो कुछ भी करता है वह मुझे ही मिलती है।
जो जिस स्वरूप में मुझे भजता है उसी स्वरूप में मैं उसकी श्रद्धा स्थिर कर देता हूँ।
सनातन धर्मी कहता है;---
 हे परमात्मा, हे परमेश्वर, प्रभ , मैं आपका हूँ, केवल आपका ही हूँ। आपके सिवा मेरा कोई नही।
मेरो तो गिरधर गोपाल दुसरो न कोई।
अन्य सम्प्रदाय बोलते हैं ओ माय गॉड, हे मेरे ईश्वर,
मतलब उनका ईश्वर दुसरों का ईश्वर अलग -अलग व्यक्ति हैं। सबके ईश्वर अलग अलग हैं और ईश्वर मेरा है, मैं ईश्वर का नही हूँ।
बस एक यहोवा परमेश्वर या एक अल्लाह ही इबादत के लायक है दुसरे किसी की इबादत करनें वाले और दुसरे किसी देवता/ फरिश्ते को भी इबादत में शरीक करता हो, किसी अन्य की तथा अल्लाह के साथ किसी अन्य की भी इबादत करता है, या जो अल्लाह और उसके पेगम्बर (मूसा/ईसा/ मोह मद) में आस्था और विश्वास नही रखता ऐसे सभी लोगों को जीनें का कोई अधिकार नही है।
मतलब सनातन धर्मी के अनुसार तो उस परमात्मा के अलाव कुछ है ही नही। जो कुछ है सब उसी का स्वरूप ही है। अन्य कुछ नही।
अन्य सम्प्रदाय मानते हैं कि, उनकी मान्यता का ईश्वर एकमात्र नही है उसके अलावा .....मन्यु /इब्लीस/ शैतान भी है। और उनकी मान्यता का ईश्वर, सर्वशक्तिमान नही है  बल्कि उनकी मान्यता के ईश्वर के अलावा  .....मन्यु इब्लीस/ शैतान भी है। जो उसकी इच्छा के विरुद्ध;  उस एकमात्र परम सत्ता की ही शक्ति के दम पर नही बल्कि वह शैतान स्वयम् अपने दम पर ही उस उस अहुरमज्द या यहोवा परमेश्वर या अल्लाह की सत्ता को चुनोती देकर उससे टक्कर लेनें  उसके समकक्ष सत्तावाला और शक्तिशाली है।

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