रविवार, 30 मई 2021

सोलह भुवन और अठारह लोक

भुवन --- जहाँ पिण्ड (ग्रह) हो, भूतल  हो वह भुवन कहलाता है तथा 
लोक ---- जहाँ जीवन का आलोक होता है उसे लोक कहते हैं। सभी भुवन में लोक नही होते किन्तु सभी लोक किसी न किसी भुवन में ही होते है।
जैसे मृत्युलोक, भू में है। नागलोक अतल में बतलाया गया है।
एक ही भुवन में कई लोक हो सकते हैं।
चौदह भुवनों के उपर / उत्तर में चार  उर्ध्व लोक हैं।
 1  वैकुण्ठ जो भुवन भी है और लोक भी है। वैकुण्ठ में ही दो और लोक है,  2 साकेत लोक, 3  गोलोक ।
4  ब्रह्मलोक भी स्वयम् भुवन भी है और लोक भी है।
 हम जिस भुवन में रह रहे हैं उसमें ही सप्त उर्व लोक - 1 भूः , 2 भुवः,  3 स्वः,  4 महः, 5 जनः, 6 तपः,7 सत्यम्। ये भूः  
सप्त अधोलोक --- 1 अतल ,2 वितल  ,3 सुतल  ,4 तलातल  ,5 महातल  ,6 रसातल  और 7 पाताल।
इस प्रकार कुल सोलह भुवन ⤵️
1 वैकुण्ठ, 2 ब्रह्मलोक, 3 सत्यम् ,  4 तपः,5 जनः, 6 महः, 7 स्वः, 8 भुवः, 9 भूः , 10 अतल, 11  वितल ,12 सुतल, 13 तलातल ,14  महातल , 15  रसातल  और 16 पाताल
 और अठारह लोक हुए।⤵️
1 वैकुण्ठ 2 गोलोक 3 साकेत लोक, 4 ब्रह्मलोक, 5 सत्यम् ,  6 तपः,7 जनः, 8 महः, 9 स्वः, 10 भुवः, 11 भूः , और 
सप्त अधोलोक--- 12 अतल, 13  वितल ,14 सुतल, 15 तलातल ,16  महातल , 17  रसातल  और 18 पाताल लोक ।

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