1 राजा नल का जुआँ खेलना उचित था या अनुचित।
2 बालीवध न्यायोचित था या नही?
3 सीताजी को अयोध्या की पटरानी बनाना सामाजिक न्यायोचित था या नही?
4 युधिष्ठिर का जुँआ खेल कर राज्य को दाव पर लगान, भाइयों को दाव पर लगाना और पत्नी को दाव पर लगानाँ न्यायोचित था या नही?
महाभारत धर्मयुद्ध में धर्म प्रश्न तीन थे ।
5 - तेरहवें वर्ष के अज्ञात वास पुर्ण होनें के बाद अर्जुन का प्रकटीकरण हुआ या पहले?
मतलब पाण्डवों और भीष्म की कालगणना सही थी या दुर्योधन की कालगणना सही थी?
6 - अन्धेहोनें के आधार पर धृतराष्ट्र का राज्याधिकारी नही होना उचित था या गलत।
7 - धृतराष्ट्र पुत्र दुर्योधन पाण्डुपुत्र युधिष्ठिर से छोटा होनें के कारण युवराज पद का अधिकारी था या नही।
प्रत्यक्ष में तो केवल प्रथम प्रश्न ही धर्म का प्रश्न था। किन्तु लोक में छटा और सातवाँ प्रश्न भी विचारणीय माना गया। इसी आधार पर बहुसंख्यक राजन्य वर्ग दुर्योधन के पक्ष से युद्ध में उपस्थित हुआ।
मतलब धर्म की निर्विवाद अवधारणा का युग त्रेता के अन्त में ही समाप्त हो गया था। और द्वापर के अन्त में तो विवाद अत्यधिक बड़ गये थे।
क्या श्रीराम और श्रीकृष्ण धर्मसंस्थापना में असफल रहे? लगभग सर्वमान्य मत तो यही लगता है कि धर्म संस्थापना में दोनों अवतार असफल ही रहे।
किन्तु यह भी लगभग सर्वमान्य है कि, अधर्मी शासन के नाश कर धर्मशासन स्थापना में दोनों अवतार लगभग पुर्णतः सफल रहे।
पौराणिक मान्यता के अनुसार तो अधर्म नाश कर धर्म संस्थापना में भगवान कल्कि ही पुर्णतः सफल होंगे।
विचारणीय मुद्दा है।
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