रविवार, 30 मई 2021

ज्योतिष क्या है?

ज्योतिष क्या है?

मूलतः त्रिस्कन्द ज्योतिष के तीन स्कन्द 1 सिद्धान्त ज्योतिष गणिताध्याय (एस्ट्रोनॉमी) , 2 सिद्धान्त ज्योतिष गोलाध्याय (एस्ट्रोनॉमी) और 3 संहिता स्कन्द। ऋग्वेद, यजुर्वेद, और अथर्वेद संहिताओं, तैत्तिरीय संहिता, ब्राह्मणारण्यकोपनिषदों,आयुर्वेद, धनुर्वेद, स्थापत्य उपवेद,वेदाङ्ग के अन्तर्गत श्रोतसुत्रों, गृह्यसुत्रों, धर्मसुत्रों और शुल्बसुत्रों, और ज्योतिष वेदाङ्ग ,स्मृतियों, वाल्मीकि रामायण, वेदव्यास कृत महाभारत, में कई स्थानों पर उक्त तीनों स्कन्दों की विषयवस्तु का उल्लेख मिलता है।

कौनसे नक्षत्र में कौनसा ग्रह है, कौनसा नक्षत्र (योगतारा) उदय हो रहा है या शिर्ष पर है। जगत पर या राष्ट्रपर या किसी विशेष क्षेत्र पर या प्राणियों में ये किस परिवर्तन के सुचक हैं। यह दोनों उल्लेख गोलाध्याय और संहिता स्कन्द के हैं। ग्रहण की ठीक ठीक भविष्यवाणी करनें , कौनसा ग्रह कितने समय पश्चात किस नक्षत्र पर पहूँचनें वाला है। किस अयन, ऋतु और सौर मास में किस नक्षत्र के दिन अमावस्या या पुर्णिमा होगी ऐसे उल्लेख गणिताध्याय के हैं। इसके अतिरिक्त मौसम विज्ञान, भूकम्प, सामुद्रिक शास्त्र, स्वर विज्ञान, अंक विद्या, देवताओं, गन्धर्वों और यक्षों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर या रमल जैसे तन्त्र आदि से व्यक्तिगत जीवन के प्रश्नों के उत्तरों का उल्लेख अवश्य है।

किन्तु होरा स्कन्द का उल्लेख नही पाया जाता। कहीँ यह नही दिखा कि, यह ग्रह स्थिति किसी व्यक्ति विशेष (अमुक राजा, या अमुक ऋषि), या अन्य किसी व्यक्ति के जीवन में किस परिवर्तन की सुचक है। अन्यथा वशिष्ठ जी श्री राम के राज्याभिषेक का परामर्श ही क्यों देते?

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