मंगलवार, 10 सितंबर 2024

तिथि और वार के योग से महत्वपूर्ण पर्व शिव पुराण और वीर मित्रोदय के अनुसार।

वायु महापुराण के एक भाग शिव पुराण में कुल छः संहिताएँ हैं।
1 विद्येश्वर संहिता, 2 रुद्र संहिता, 3 शत्रुद्र संहिता , 4 कोटिरुद्र संहिता , 5 उमा संहिता और  6 कैलाश

 शिव पुराण की विद्यश्वर संहिता के में
वार और तिथि के संयोग से बने निम्नांकित चार योगों को सूर्यग्रहण के समान धार्मिक महत्व की कही गई है और कहा गया है कि, इन तिथियों में किया गया स्नान, दान, श्राद्ध, जप और ध्यान अक्षय होता है।
लेकिन ध्यान रखें कि, वार सूर्योदय से सूर्योदय तक रहता है। अगले सूर्योदय से ही वार बदलता है। रात बारह बजे Day & Date (डे और डेट) ही बदलते हैं, वार नहीं।
ये चार तिथि -वार के योग हैं ---
1 रविवारीय सप्तमी,  2 सोमवारी (सोमवती) अमावस्या, 3 मंगलवारी चतुर्थी (अङ्गारकी चतुर्थी) और 4 बुधवारी अष्टमी (बुधाष्टमी) ।
अमावस्या तु सोमेन सप्तमी भानुना सह।

चतुर्थी भूमिपुत्रेण सोमपुत्रेण चाष्टमी।।

चत्सरस्तिथयो स्त्वेताः सूर्यग्रह सन्निभाः।

स्नानं दानं तथा श्राद्धं सर्वं तत्राक्षयं भवेत्।।

सोमवारी अस्त, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी एवं रविवारी अष्टमी तिथियां सूर्य ग्रह के समान फल देने वाली कही गयीं। इन तिथियों में स्नान, दान, जप, तर्पण/श्राद्ध आदि अनंत फल कहा गया है।

इस दिन पवित्र नदियों और झीलों में स्नान करना विशेष शुभ कहा गया है।

अमावस्या तु सोमेन सप्तमी भानुना सह।

चतुर्थी भूमिपुत्रेण बुधवारेण अष्टमी ॥

चत्सरस्तिथयः पुण्यास्कुल्याः सूर्य्ग्रहादिभिः।

सर्वमक्षयमत्रोक्तं स्नानदानजपादिकम् ॥

"वीरमित्रोदय समयप्रकाश"

वीरमित्रोदय समय प्रकाश के अनुसार सोमवार की अमावस्या, रविवार की सप्तमी, मंगल वार की चतुर्थी और रविवार की अष्टमी तिथि, ग्रहण काल ​​के समान पुण्य माना गया है। इस दिन दिए गए पुण्य कर्म नदी स्नान, जपादि अक्षय फल प्रदान करता है।

शास्त्रकारों का निर्णय है कि यह दिन ग्रहण काल ​​के समान होता है। बुधाष्टमी के दिन पवित्र अनुष्ठान, पवित्र स्नान, दान, तर्पण व जपादि पुण्य कर्म अक्षय फल प्रदान करता है।

इस बुधवार की अष्टमी को ही  दुर्वा अष्टमी कहा जाता है।
ऐसी मान्यता है कि, राक्षसों के संहार से थके गणेशजी ने अष्टमी बुधवार के दिन नर्मदा तट पर दुर्वा पर लेट कर विश्राम किया था। जिससे उन्हें अत्यन्त सुखद अनुभव हुआ था।
चतुर्थी और मंगलवार दोनों ही अष्ट विनायक से सम्बन्धित दिन हैं।
रविवार और सप्तमी तिथि दोनों का स्वामी सूर्य है।
और सोम अर्थात चन्द्रमा का वार सोमवार और चन्द्रमा रहित रात्रि अमावस्या ( अमा मतलब चन्द्रमा रहित) दिन चन्द्रमा सम्बन्धित हैं।
यह तो प्रमाण भी है और तर्क भी है।
ऐसे प्रमाण सुने-सुनाई व्रत पर्वों में नहीं मिलते।
मर्जी है आपकी, आखिर धर्म है आपका।

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