गुरुवार, 12 अगस्त 2021

नागपञ्चमी कब और क्यों मनाते हैं।

आश्लेषा नक्षत्र का स्वामी नाग है।
जब सूर्य आश्लेषा नक्षत्र पर होता था तब नाग नागिन के जोड़े का प्रतिक दिवारों पर दर्शाने की परम्परा थी। ताकि, लोगों को सूर्य नक्षत्र की जानकारी रहे।
उसी का नवीन स्वरूप नाग पञ्चमी है।
नाक्षत्रीय / निरयन गणनानुसार कर्क राशि के 18°29'30" पर आश्लेषा का योगतारा E Hydrae दक्षिण आकाश में 11°06'28" शर पर देखा जा सकता है। 
जो 01 जनवरी को भुमध्य रेखा के 06° 20'08" उत्तर में दिखता है।

आश्लेषा के योग तारा पर सूर्य वर्तमान में लगभग 05 अगस्त को रहता है। चूँकि, अंग्रेजी दिनांक सायन सौर गणनाधारित है अतः प्रति 71 वर्ष में एक दिनांक बाद में दिखता है।
27 नक्षत्रीय गणनानुसार आश्लेषानक्षत्र निरयन कर्क के03°16'40" से कर्क के 30°00'00" तक रहता है। तदनुसार वर्तमान में सूर्य 02/03 अगस्त से 16/17 अगस्त तक आश्लेषा नक्षत्र में रहता है। जो प्रति 71 वर्ष में एक दिनांक बाद में दिखेगा।
तदनुसार वर्तमान में 16 जुलाई से 16/17 अगस्त के बीच रहने वाले निरयन कर्क राशि के सूर्य में पड़ें वाली अमावस्या के बाद वाली पञ्चमी तिथि को नाग पञ्चमी मनाते हैं।शुक्ल पञ्चमी तिथि मतलब सूर्य से चन्द्रमा की दूरी 48° से 60° के बीच रहने को शुक्ल पक्ष की पञ्चमी तिथि होती है।

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