अन्वाधान औ इष्टि --
विष्णु भक्त वैदिकों के लिए अन्वाधान और इष्टि अति महत्वपूर्ण है। शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अमावस्या की तिथि को अन्वाधान करते हैं एवम् दुसरे दिन अर्थात शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तथा कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को इष्टि अर्थात सामुदायिक यज्ञ किया जाता है।
हवन के बाद भी अग्नि प्रज्वलित रखते हुए होमाग्नि कभी कम नही होने देना चाहिए। वैदिक शब्द अन्वाधान का अर्थ अग्निहोत्र (हवन या होम्) करने के बाद यज्ञाग्नि को प्रज्वलित रखने के लिए होमाग्नि में समिधा अर्पित करना है। वैष्णव अन्वाधान (पूर्णिमा और अमावस्या) तथा इष्टि (दोनो पक्षों की प्रतिपदा) के दिन उपवास रखते हैं। उन्हेंअन्वाधान और इष्टि पर लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं।
वैष्णव लोग मानते हैं कि, अन्वाधान और इशिता (इष्टि) के दिन उपवास करने से शांति और खुशी प्राप्त होती है। और इच्छाओं की भी पूर्ति होती है।
शैवजन तृयोदशी के दिन (प्रदोष को) नक्तव्रत कर प्रदोषकाल में भोजन कर कृष्णपक्ष की चतुर्दशी (मास शिवरात्रि) को पार्थिव शिवलिङ्ग बनाकर अभिषेक करते हैं।
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