गायत्री मन्त्र से सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके अलावा इस मन्त्र से भी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
मन्त्र और उसका अर्थ यह है।
ॐ एहि सूर्य! सहस्त्रांशो! तेजो राशे! जगत्पते!
अनुकम्प्यं मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर।
ॐ घ्रणि सूर्याय नमः।
अर्थ- *ॐ एहि सूर्य, सहस्त्रांशो, तेजो राशे, जगत्पते,*
*अनुकम्प्यं मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर।*
का अर्थ ---
*हे सहस्त्रांश (हे हजारों किरणों वाले)! हे तेज पुञ्ज! हे जगतपति! मुझ पर अनुकम्पा करें। मेरे द्वारा श्रद्धा-भक्तिपूर्वक दिए गए इस अर्घ्य को स्वीकार कीजिए, आपको बारंबार शीश नवाता हूँ।*
सूर्य की उपासना करने वाले जातक नित्य प्रातः तांबे के लोटे में शुद्ध जल भर लें। फिर सूर्य देवता के सम्मुख खड़े होकर दोनों हाथों से लोटे को ऊंचा उठाकर अर्घ्य देना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें