यह सही प्रक्रिया है। लेकिन वास्तविकता से दूर आधुनिक चिकित्सा ने व्यायाम और श्रम दोनों को मिला दिया।
दासत्व के गहरे संस्कारों के कारण ना कहने का साहस भारतीय खो चुके हैं।
यही पूंजीवाद यूरोपियों अमरीकियों पर ऐसा दबाव नहीं बना पाता।
वहाँ की व्यवस्था भी उद्यमियों की सहायक है। जबकि हमारे यहाँ भ्रष्टाचार में बच्चा-बच्चा आकण्ठ डुबा है।
समय तो सबके पास उतना ही है, लेकिन हम अपव्यय कर समय काटते हैं बुद्धिमान उपयोग कर विकास करते हैं।
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