रविवार, 24 मार्च 2024

व्यायाम, खेल, गृहकार्य, वृत्ति और परिश्रम सब अलग-अलग बातें हैं।

वास्तव में पहले चलना, योगासन और मल्ल व्यायाम कर शरीर को लचीला बनाना, फिर पसीना बह निकले ऐसा गृह कार्य या कमाई हेतु कठोर परिश्रम करें । फिर योगिक रिलेक्स हो, फिर संध्या काल में मैदानी खेल खेलें, पुनः हल्के व्यायाम द्वारा लचीलापन लाएँ।
यह सही प्रक्रिया है। लेकिन वास्तविकता से दूर आधुनिक चिकित्सा ने व्यायाम और श्रम दोनों को मिला दिया।
दासत्व के गहरे संस्कारों के कारण ना कहने का साहस भारतीय खो चुके हैं।
यही पूंजीवाद यूरोपियों अमरीकियों पर ऐसा दबाव नहीं बना पाता।
वहाँ की व्यवस्था भी उद्यमियों की सहायक है। जबकि हमारे यहाँ भ्रष्टाचार में बच्चा-बच्चा आकण्ठ डुबा है।
समय तो सबके पास उतना ही है, लेकिन हम अपव्यय कर समय काटते हैं बुद्धिमान उपयोग कर विकास करते हैं।

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