चैत्र को प्रथम मास और संवत्सर का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से मानना मतलब चित्रा तारे को भचक्र के १८०° पर मानना। और चित्रा तारे को भचक्र के १८०° पर मानना मतलब निरयन गणना को स्वीकारना।
क्योंकि निरयन गणना का आधार ही वैदिक संहिताओं में चित्रा तारे को भचक्र के १८०° पर अर्थात मध्य में होने का वचन है।
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