राजा भोज के समय तेलंगाना के तेलंग ब्राह्मण बोपदेव वेदव्यास जी के नाम पर तीन पुराण -
१ भागवत पुराण -भाद्रपद शुक्ल पक्ष में अष्टमी से पूर्णिमा तक मन्दिरों में भागवत सप्ताह सत्र आयोजित कर कथा वाचक पौराणिक पण्डित एक सप्ताह में भागवत कथा सुनाते हैं।
२ वायु पुराण जिसका एक भाग शिव पुराण कहलाता है जो शैव सम्प्रदाय का सबसे महत्वपूर्ण ग्रन्थ माना जाता है। आजकल श्रावण मास में और अन्य माहों में भी शिवपुराण के आयोजन प्रचलित हो गये हैं।
३ मार्कण्डेय पुराण जिसमें जिसका पाठ नवरात्र में होता है। शाक्तपन्थ और तन्त्रशास्त्र का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ दुर्गा सप्तशती है।
राजा भोज नें उनकी भाषा,शैली और काव्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि, यदि आप स्वयम् के नाम पर इसे लिखते तो मैं पुरस्कार देता। लेकिन महर्षि वेदव्यास जी के नाम पर लिखकर आप जनता को धोखा दे रहे हैं इसलिए आप मृत्यु दण्ड के पात्र हैं।
चूंकि ब्राह्मण अवध्य होता है अतः मैं आपको देश निकाला का दण्ड देता हूँ।
इसी भागवत पुराण में सिद्धार्थ गोतम बुद्ध को कलियुग में जन्मा नौवा अवतार बतलाया है।
इसलिए आपके मित्र गलत होते हुए भी एकदम ग़लत नही है।
दोष उनका नही हमारे पोंगे पण्डितों का है जो इन मिथ्या ग्रन्थो का प्रचार कर रहे हैं।
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