ज्योतिषीय जानकारियाँ।
बाथक स्थान-
चर लग्न - १ मेष, ४ कर्क, ७ तुला और १० मकर लग्न के लिये एकादश भाव बाधक स्थान होता है।
स्थिर लग्ऩ - २ वृष, ५ सिंह, ८ वृश्चिक और ११ कुम्भ लग्न के लिये नवम भाव बाधक स्थान होता है।
द्विस्वभाव लग्न - ३ मिथुन, ६ कन्या, ९ धनु और १२ मीन लग्न के लिये सप्तम भाव बाधक स्थान होता है।
कौन सी महादशा किस जातक पर लागु होती है --
विंशोत्तरी दशा :- शुक्ल पक्ष कर्क होरा / कृष्ण पक्ष सिंह होरा।
शोडषोत्तरी दशा :- शुक्ल पक्ष सिंह होरा/कृष्ण पक्ष कर्क का होरा ।
रोगी प्रश्न लग्न से
लग्न से वैद्य (डॉक्टर)
चतुर्थ भाव से औषधी
पञ्चम भाव से रोग
दशम भाव से रोगी
लग्न एवम् दशम में सुसम्बन्ध हो, मैत्री हो तो वैद्य (डॉक्टर ) से लाभ होगा।
सप्तम और चतुर्थ भाव बलवान एवम् परस्पर मित्र हो तो औषधी से लाभ होगा।
विपरित स्थिति में हानी होगी। रोग बढ़ेगा।
पितृदोष -
सूर्य शनि,राहु - केतु से पीड़ित हो तो पितृदोष,
चन्द्रमा शनि,राहु - केतु से पीड़ित हो तो मातृ दोष,
शुक्र से पत्नी, मंगल से भाई ।
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