शुक्रवार, 20 जून 2025

योग दिवस वसन्त विषुव दिवस सायन मेष संक्रान्ति (20-21 मार्च) और इण्टरनेश्नल योगा डे उत्तर परम क्रान्ति दिवस सायन कर्क संक्रान्ति (21-22 जून)

समत्वम् योग उच्चते।
इस परिभाषा के अनुसार तो जिस दिन दिन-रात बराबर हो, प्रकृति प्रफुल्लित हो अर्थात सभी पेड़ पौधों पुष्पित हो, जीवों का मन उत्साहित हो उस दिन योग दिवस मनाया जाना चाहिए।
वह दिन वसन्त विषुव दिवस, सायन मेष संक्रान्ति 20-21 मार्च को होता है।
दिन-रात बराबर, सृष्टि का प्रारम्भ दिवस, संवत्सर, प्रारम्भ दिवस, वसन्त ऋतु, उत्तरी ध्रुव पर सूर्योदय, सूर्य की स्थिति और गति उत्तर में (उर्ध्व में) होती है। यह प्राकृतिक योग दिवस होता है।
ध्यान रखें व्यायाम प्रारम्भ करने और जम कर व्यायाम करने के लिए ठण्ड का समय ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है। गर्मी और बरसात में चल रहा नियमित हल्का व्यायाम करन ही उचित माना जाता है।

अष्टाङ्ग योग में मुख्यता यम- नियम की है। बिना यम-नियम पालन के आसन मात्र जिम्नास्टिक है। प्राणायाम ब्रीदिंग एक्सरसाइज है, बिना प्रत्याहार, बिना धारणा के ध्यान होता ही नहीं। केवल रिलेक्सेशन हो सकता है। तो समाधि की तो कल्पना ही नहीं।
यह योग नहीं योगा है। YOGA योगा, योगा में सब-कुछ होगा वाला योगा डे सायन कर्क संक्रान्ति 21-22 जून को मनाया जाता है जिस दिन सूर्य का परम उत्तर क्रान्ति दिवस होता है अर्थात जिस दिन सूर्य उत्तरी गोलार्ध में उत्तर की ओर गति करते हुए, परम उत्तर सीमा पर अर्थात कर्क रेखा पर पहूँच कर दक्षिण की ओर गति प्रारम्भ करता है।

मैरे एक मित्र श्री अरविन्द शुक्ला जी के अनुसार ---

अष्टाङ्ग योग ---
जब कोई व्यक्ति यम (जैसे अहिंसा, सत्य), नियम (जैसे शौच, संतोष) के मार्ग पर चलता है, तब उसके भीतर तप, स्वाध्याय और अंततः ईश्वर प्रणिधान यानी ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण उत्पन्न होता है। यही समर्पण उसे वास्तविक धर्म का पालनकर्ता बनाता है।

जो व्यक्ति परमात्मा को ही अपने भीतर के ‘मैं’ के रूप में पहचान लेता है — वह अपने आप में अडिग होता है, स्थिर होता है, और वही सच्चा आत्म-विश्वास (आत्मा में विश्वास) प्राप्त करता है।

> "ईश्वर में पूर्ण समर्पण ही आत्मविश्वास की सबसे ऊँची अवस्था है।"

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