वास्तव में सनातन धर्म के ग्रन्थों के अनुसार विक्रम संवत निरयन मेष संक्रमण से प्रारम्भ होता है। अतः 14 अपल 2025 सोमवार को वैशाखी से प्रारम्भ होगा।
पञ्जाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश में वैशाखी और विक्रम संवत, बङ्गाल, उड़ीसा,असम में बिहु, वैशाख बिहु नाम से तमिलनाडु में मेषादि और मेष संक्रमण के नाम से केरल में विशु के नाम से मनाया जाएगा।
विक्रमादित्य के दादा जी ने स्वयम् हरियाणा के कुरुक्षेत्र के निकट मालवा क्षेत्र से सोनकच्छ में आकर राज्य किया था। इसलिए पञ्जाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश में विक्रम संवत का महत्व अधिक है। वे आज भी प्राचीन परम्परा अनुसार विक्रम संवत प्रारम्भ करते हैं।
लेकिन विक्रमादित्य के केवल 135 वर्ष बाद ही सातवाहन साम्राज्य और कुषाण साम्राज्य स्थापित हो गए और उन्होंने तिब्बती परम्परागत सायन सौर-चान्द्र तिथि पत्रक लागू कर दिया। लेकिन ज्योतिष के जानकार धर्माचार्यों ने इसे विक्रम संवत से जोड़ने हेतु निरयन सौर संक्रमण आधारित चान्द्र वर्ष में बदल दिया।
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