महिलाएँ एक से एक स्वादिष्ट भोजन रोज बनातीं है।
लेकिन रसोइयों की बात ही कुछ और है।
फिर भी
नृत्य गुरु द्वारा प्रस्तुत नृत्य में वह रस वह आनन्द नहीं आयेगा जो उनकी शिष्य नृत्यांगना के नृत्य में आयेगा।
ऐसे ही
रसोइये कितना ही स्वादिष्ट भोजन, कितने ही स्वादिष्ट व्यञ्जन बनाए, लेकिन दो-तीन दिन से अधिक नहीं खा सकते। जबकि, महिलाओं द्वारा तैयार की गई दाल, भात, सब्जी, रोटी जीवन भर खा कर भी उकताहट नहीं होती।
राज्य / शासन जब महिला करतीं हैं तो कठोरता पूर्वक शासन करतीं हैं और सफल होती हैं। लेकिन शासनकाल दीर्घ नहीं रहता।
पुरुषों का शासनकाल दीर्घ होता है लेकिन उतने कठोर निर्णय नहीं लेते, इसलिए लोगों को हमेशा कुछ कमी लगती है।
यही प्रकृति है।
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