ईश्वरः सर्व भूतानाम् हृत्देशेऽर्जुन तिष्ठति
का अर्थ सभी जड़ चेतन का मौलिक स्वरूप परमात्मा ही है।
जैसे बर्फ, वाष्प और तरल जल सब मूलतः केमिस्ट्री की भाषा में H20 ही है। स्वर्ण सिंहासन हो या स्वर्णाभुषण सब मूलत स्वर्ण ही है। ऐसे ही सर्वभूत मात्र मूलतः परमात्मा ही है।
इसलिए उनका केन्द्रक (न्युक्लियस) के रूप में मैं विष्णु रूप में स्थित हूँ।
श्री कृष्ण ने पूरी भगवतगीता बिहाफ ऑफ विष्णु कही है।
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