ऋग्वेदीय उपाकर्म श्रावण मास में श्रवण नक्षत्र में लेकिन दुसरे दिन यदि श्रवण नक्षत्र तीन मुहूर्त (छः घटि अर्थात 02 घण्टे 12 मिनट) से अधिक हो तो दुसरे दिन अन्यथा पहले दिन ही करें।
इस समय संक्रान्ति या ग्रहण हो तो श्रावण शुक्ल पञ्चमी को या श्रावण शुक्ल में हस्त नक्षत्र में श्रावणी करें।
शुक्ल यजुर्वेदीय उपाकर्म श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को करें ।
यदि दुसरे दिन यदि शाकल्यपादिता पूर्णिमा तिथि अर्थात पूर्णिमा तिथि तीन मुहूर्त (छः घटि अर्थात 02 घण्टे 12 मिनट) से अधिक हो तो दुसरे दिन अन्यथा पहले दिन ही करें।
इस समय संक्रान्ति या ग्रहण हो तो श्रावण शुक्ल पञ्चमी को या श्रावण शुक्ल में हस्त नक्षत्र में श्रावणी करें।
कृष्ण यजुर्वेदीय उपाकर्म श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को करें ।
यदि दुसरे दिन यदि पूर्णिमा तिथि तीन मुहूर्त (छः घटि अर्थात 02 घण्टे 12 मिनट) से अधिक हो तो दुसरे दिन अन्यथा पहले दिन ही करें। लेकिन पहले दिन एक मुहूर्त बाद पूर्णिमा लगे और दूसरे दिन पूर्णिमा छः घटि से भी कम हो तो भी कृष्ण यजुर्वेदीय उपाकर्म दुसरे दिन ही करें।
इस समय संक्रान्ति या ग्रहण हो तो श्रावण शुक्ल पञ्चमी को या श्रावण शुक्ल में हस्त नक्षत्र में श्रावणी करें।
सामवेदीय उपाकर्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष में हस्त नक्षत्र में करें।
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