२ कुर्म/कश्यप (समुद्र मन्थन में अपनी पीठ पर मन्दराचल रखवा कर मन्दराचल को आधार देना), कुर्म उभयचर है। जलचर होकर भी भूमि पर रह सकता है।
३ वराह (हिरण्याक्ष वध कर भूमि का जल वापस समुद्र में पहूँचा कर जल मग्न भूमि को सुखाना), वराह स्थलचर होकर भी जल के निकट बलवान होता है।
४ नृसिंह (हिरण्यकशिपु का वध कर प्रहलाद को राज्य दिया।), नृसिंह आधे पशु आधे द्विपद या मनुष्य थे।
त्रेता युग तीन कलियुग तुल्य है। त्रेता में तीन अवतार हुए। तीनों मानव विकास क्रम में।
१ वामन ( दैत्य राज बलि से केरल भारत का राज्य छीन कर बोलिविया / दक्षिण अमेरिका में बसाया) पूर्ण विकसित नही, बोने थे।
२ परशुराम (तान्त्रिक कार्तवीर्य सहस्त्रार्जून को मार कर तन्त्र मन्त्र, मान्समदिरा बन्द कराया।) पूर्ण नागरिक (सिविलाइज्ड) नही थे।
३ श्री राम (रावण के नेतृत्व में उसके ननिहाल से आये और लक्ष्यद्वीप, कर्नाटक, महाराष्ट्र, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और निमाड़ तक फैल चुके अफ्रीकी राक्षसों को मार भगाया), श्री राम पूर्ण सभ्य थे फिर भी कुछ समय वनवास में रहकर वन्य जीवन का अनुभव लिया।
द्वापर दो कलियुग तुल्य था। द्वापर में दो अवतार हुए।
१ बलराम (श्रीकृष्ण के सहयोगी)। मल्ल, गदाधर, हलधर किसान
२ श्रीकृष्ण (कन्स द्वारा भारत में फिर से बसाये गए तान्त्रिकों और आक्रमणकारियों को मार कर भगाया।), पूर्ण सभ्य, दार्शनिक , वैज्ञानिक, युद्धकला विशेषज्ञ, कूटनीतिक।
कलियुग के अन्त में कलियुग समाप्ति के ८३१ वर्ष पूर्व ब्राह्मण माता-पिता की सन्तान कल्कि अवतार होंगे। जो दुर्दान्त योद्धा होंगे। सभी आसुरी प्रवत्ति वालों का नाश कर सतयुग का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें