गुरुवार, 29 जुलाई 2021

धर्म, धर्मराज, मार्तण्ड, यम और मृत्यु का मृत्यलोक से सम्बन्ध।

धर्म, धर्मराज, मार्तण्ड,  यम  और मृत्यु  का मृत्यलोक से सम्बन्ध।

दक्ष प्रथम और उनकी पत्नी प्रसुति का जोड़ा,मरीचि और धर्म तीनों ही  प्रजापति ब्रह्मा की मानस सन्तान थे। 

प्रजापति ब्रह्मा की मानस सन्तान दक्ष प्रथम और उनकी पत्नी प्रसुति का जोड़ा  हुआ।
दक्ष प्रथम और उनकी पत्नी प्रसुति की चौवीस कन्या सन्तान हुई।

धर्म नामक देवता प्रजापति  ब्रह्मा जी के मानस पुत्र  हैं। ये देवस्थानी प्रजापति हैं भूमि पर धर्म का क्षेत्र धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र था।
 दक्ष प्रथम और प्रसुति की चौवीस कन्याओं में से तेरह पुत्रियाँ धर्म की पत्नी हैं।  धर्म - और उनकी तेरह पत्नियाँ । (1 श्रद्धा,2 लक्ष्मी, 3 धृति, 4 तुष्टि, 5 पुष्टि, 6 मेधा, 7 क्रिया,8 बुद्धि, 9 लज्जा, 10 वपु, 11 शान्ति,12 सिद्धि,13 कीर्ति ) ये देवस्थानी प्रजापति हैं। इनकी पत्नियाँ दक्ष प्रजापति (प्रथम) और प्रसुति की कन्याएँ थी ।धर्म की पत्नियों (दक्ष पुत्रियों) की सन्तान-
1 श्रद्धा से काम।काम की पत्नी   रति से हर्ष हुआ ।
2 चला ( लक्ष्मी) से दर्प।
3 धृति से नियम।
4 तुष्टि से सन्तोष।
5 पुष्टि से लोभ।
6 मेधा से श्रुत।
7 क्रिया से दण्ड, नय और विनय।
8 बुद्धि से बोध।
9 लज्जा से विनय।
10 वपु से व्यवसाय।
11 शान्ति से क्षेम।
12 सिद्धि से सुख।
13 कीर्ति से यश हुआ।

महर्षि मरीचि भी प्रजापति ब्रह्मा की मानस सन्तान थे। प्रजापति ब्रह्मा के मानस पुत्र  दक्ष प्रथम और प्रसुति की पुत्री  सम्भूति का विवाह मरीचि से हुआ। मरीचि और उनकी पत्नी सम्भूति  के पुत्र महर्षि कश्यप हुए।  

प्रचेताओं के पुत्र  दक्ष (द्वितीय) थे। एवम् वरुण के वंशज वीरण प्रजापति की पुत्री असीक्नि दक्ष (द्वितीय)की पत्नी थी। उनकी साठ पुत्रियों में से तेरह पुत्रियों का विवाह महर्षि कश्यप से हुआ।
महर्षि कश्यप नें कश्यप सागर (केस्पियन सागर) से कश्मीर तक कई स्थानों पर तप किया । 
महर्षि कश्यप नें कश्यप सागर से कश्मीर तक के भिन्न भिन्न स्थानों पर  अलग - अलग पत्नी से अलग अलग सन्ताने उत्पन्न की। ये सन्तानें विभिन्न प्रजातियों की आदि पुरुष कहलाई।

महर्षि कश्यप की इन सन्तानों से ही अलग अलग संस्कृतियाँ उत्पन्न हुई। इतिहास में ये सब सभ्यता/ संस्कृतियाँ सिथियन नाम से जानी जाती है।

कश्यप - अदिति के पुत्र द्वादश आदित्य  हुए। द्वादश आदित्यों में विवस्वान और विश्वकर्मा त्वष्टा भी हैं। विश्वकर्मा त्वष्टा और रचना की पुत्री सरण्यु  है।सरण्यु का विवाह विवस्वान से हुआ।

 विवस्वान और सरण्यु की सन्तान यम और यमी (यमुना नदी) हुई। यम का क्षेत्र दक्षिण पश्चिम ईरान में था। तथा
विवस्वान और सरण्यु  के ही पुत्र श्राद्धदेव (सातवें और वर्तमान मनु) वैवस्वत मनु कहलाते हैं।उनकी की पत्नी श्रद्धा है।

सरण्यु की ही छाँया विवस्वान की दुसरी पत्नी  कही गई है। उनकी सन्तान  शनि और मान्दी (भद्रा) हैं। (कुछ स्थानों पर मान्दी और भद्रा अलग अलग मानी गई है।)

सरण्यु का ही तीसरा रूप अश्विनी के विवस्वान से  दस्र और नासत्य नामक दो पुत्र हुए जो अश्विनी कुमार कहलाते हैं।

यम, यमी (यमुना), शनि, मान्दी, भद्रा, दस्र और नासत्य ये सब वैवस्वत मन्वन्तर में जन्मी प्रथम सन्तान  कहलाते हैं।

दक्ष (द्वितीय) और असीक्नि  पुत्रीअदिति से महर्षि कश्यप की आठ सन्तान और हुई वे अष्टादित्य कहलाती है। 
इन अष्टादित्यों में से एक मार्तण्ड हमारे सुर्य देव हैं। मार्तण्ड के प्रकाश सेआलोकित लोक मृत्युलोक कहलाता है।
 मृत्यलोक के शासक को धर्मराज कहते हैं। जिनके पास राजदण्ड के रूप में  उनकी शक्ति मृत्यु रहती है।
यम की मृत्यु सर्वप्रथम हुई। धर्म नें सर्वप्रथम मरनें वाले यमराज को मृत्यु उपरान्त धर्मराज  के पद पर अभिषिक्त किया। अर्थात मृत्यलोक का शासक धर्मराज के पद पर नियुक्त किया। उनके सहायक चित्रगुप्त जी हैं।
इस प्रकार धर्म, धर्मराज (यम), और चित्रगुप्त तीनों अलग अलग देवता हैं।

यम धर्मराज के रूप में धर्मपुर्वक मृत्यलोक पर शासन करते हैं। उनकी शक्ति मृत्यु है। उनके वाहन का आकार प्रकार (डिजाइन) महिष (भेंसे) के समान है। उनके शस्त्र मृत्युपाश और गदा है।

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