सोमवार, 26 जुलाई 2021

शरीर आपके पास ईश्वर की धरोहर है, उत्तरदायित्व है। भोग साधन नही।

शरीर आपके पास ईश्वर की धरोहर है, उत्तरदायित्व है। भोग साधन नही।
यह कहनें का अधिकार मुझे भी नही है, मेने भी शरीर के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन कभी नही किया। किन्तु इस विषय में सबको सचेत करना मेरा दायित्व है। ताकि मेरी गलती अन्य कोई न दुहराए।
ऋत के अनुकूल जो और जैसा भी शरीर आपको मिला है उसे  अष्टाङ्गयोग यम नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा ध्यान, समाधि के द्वारा स्वस्थ्य, सुघड़, और सुरूप बनाना ही चाहिए। तथा पञ्चमहायज्ञ द्वारा अन्तःकरण शुद्धि कर स्वस्थ्य देह, स्वस्थ्य अन्तःकरण, स्वस्थ्य अधिकरण, स्वस्थ्य अभिकरण के बल पर ही आप स्वस्थ (आत्मस्थ) हो सकते हो। विवेक जाग्रत हो सकता है और स्थितप्रज्ञ हो सकते हो। ताकि, निर्वाण के बाद कैवल्य और कैवल्य के  उपरान्त सद्योमुक्ति हो सके।

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