उत्तर गोलार्ध का नक्शा चार खण्डों में बनता था; जिसे सुमेरु के चार पार्श्व कहते थे।
मानचित्र में सुमेरु के चार पार्श्वों को चार अलग-अलग रङ्गों में दर्शाते हैं। आज भी मानचित्र मे चार अलग-अलग रङ्गों का ही प्रयोग होता है।
इस सुमेरु अर्थात उत्तरी गोलार्ध का आधार विषुवत रेखा है तथा शिर्ष पर उत्तर ध्रुव है।
सुमेरु की सतह पर पृथ्वी गोल के सतह विन्दुओं के प्रक्षेप से समतल नक्शा बनता था।
दक्षिण गोल में ध्रुव प्रदेश स्थल भाग है इस प्रक्षेप में दक्षिणी ध्रुव का आकार अनन्त हो जाता है। अतः इसे अनन्त द्वीप कहते थे।
उत्तरी गोल के 90°-90° अंशों के चार खण्डों को भू-पद्म का चतुर्दल कहा गया है। इनके नाम हैं।--
1 भारतवर्ष 2 भद्राश्ववर्ष 3 कुरुवर्ष 4 केतुमालवर्ष।
भारत का भाग - पुराणों में भारत के तीन अर्थ हैं -- भारत वर्ष, भरतखण्ड और कुमारी खण्ड।
भारतवर्ष - उज्जैन के देशान्तर 75-°46' के दोनों तरफ ४५-४५ अंश पूर्व पश्चिम अर्थात पूर्व देशान्तर 30°46' से पूर्व देशान्तर 120°46' तक तथा अक्षांश 00°00' यानी विषुवत रेखा से से उत्तर ध्रुव अक्षांश 90°00'तक का भाग भारतवर्ष है।
भारत वर्ष - उत्तरी गोलार्ध में, विषुवत रेखा से से उत्तर ध्रुव तक यानी अक्षांश 00°00' से अक्षांश 90°00'तक एवम पूर्वी गोलार्ध में पूर्व देशान्तर 30°46' से पूर्व देशान्तर 120°46' तक भारतवर्ष कहलाता है। भारत वर्ष के मध्य में पूर्व देशान्तर 75°-46'पर उज्जैन स्थित है। भारतवर्ष के पूर्वी छोर पर पूर्व देशान्तर 120-°46' पर इन्द्र की अमरावतीपूरी स्थित है।(सेवान द्वीप का तहोकु अथवा फिलिपीन्स की राजधानी मनीला सम्भव है।) और भारत के पश्चिम छोर पूर्व देशान्तर 30°-46' पर यम की संयमनीपूरी स्थित है। यमन का सना,या जोर्डन का अम्मान सम्भव है।)।
भद्राश्व वर्ष- उत्तरी गोलार्ध में ही भारत के पूर्व में पूर्व देशान्तर 120°46' से पश्चिम देशान्तर 149°14' तक भद्राश्ववर्ष स्थित है। भद्राश्ववर्ष के मध्य मे पूर्व देशान्तर 165°46'पर यमकोटी पत्तनम् स्थित है।(वर्तमान में यहाँ कोई द्वीप नही है।) भद्राश्ववर्ष के पूर्वी छोर पश्चिम देशान्तर 149°14' पर वरुण की सूषापूरी (सूखापुरी) स्थित है। (हवाई द्वीप का होनोलुलु या फ्रेञ्च पोलिनेसिया सम्भव है।) तथा भद्राश्ववर्ष के पश्चिम छोर पूर्व देशान्तर 120°46' पर इन्द्र की अमरावतीपूरी स्थित है।(सेवान द्वीप का तहोकु अथवा फिलिपीन्स की राजधानी मनीला सम्भव है।)
कुरुवर्ष - भारतवर्ष से 180° देशान्त पर भारतवर्ष के विपरीत दिशा में पश्चिम देशान्तर 149°14'से पश्चिम देशान्तर 59°14' तक कुरु वर्ष स्थित है। कुरुवर्ष के मध्य में पश्चिम देशान्तर 104°-14' पर सिद्धपूर स्थित है। (मेक्सिको का लियोनेल द्वीप सम्भव है।) कुरुवर्ष के पश्चिमी छोर पर वरुण की सूषापूरी (होनोलूलू सम्भव है।) पश्चिम देशान्तर 149°-14' पर।और कुरुवर्ष के पूर्वी छोर पश्चिम देशान्तर 59°14'पर सोम की विभावरीपूरी स्थित है। (ट्रिनिडाड-टोबेको या पोर्टोरीको सम्भव है।)
केतुमालवर्ष- भारतवर्ष के पश्चिम में पूर्व देशान्तर 30°46' से पश्चिम देशान्तर 59°14' तक केतुमालवर्ष स्थित है। या यों कहें कि,भारतवर्ष के पश्चिम में पश्चिम देशान्तर 59°14' से पूर्व देशान्तर 30°46'तक। केतुमाल वर्ष स्थित है।केतुमालवर्ष के मध्य में पश्चिम देशान्तर 14°14' पर रोमकपत्तनम् (सहारा/ मोरिटेनिया का विला सिसिस्नेरोस सम्भव है।) स्थित है। केतुमालवर्ष के पश्चिमी छोर पर सोम की विभावरी पुरी पश्चिम देशान्तर 59°14' पर स्थित है।(ट्रिनिडाड-टोबेको या पोर्टोरीको सम्भव है।) एवम् केतुमालवर्ष के पूर्वी छोर पूर्व देशान्तर 30°46' पर यम की संयमनीपूरी स्थित है। (साना-यमन या अम्मान- जोर्डन सम्भव है।)
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पुनश्च --
कुरुवर्ष - भारत के विपरीत दिशा में पश्चिम देशान्तर 149°14'से पश्चिम देशान्तर 59°14' तक कुरु वर्ष। कुरुवर्ष के मध्य में पश्चिम देशान्तर 104°-14' पर सिद्धपूर स्थित है। (मेक्सिको का लियोनेल द्वीप सम्भव है।) कुरुवर्ष के पश्चिमी छोर पर वरुण की सूषापूरी (हवाई द्वीप का होनोलुलु या फ्रेञ्च पोलिनेसिया सम्भव है।) पश्चिम देशान्तर 149°-14' पर।और कुरुवर्ष के पूर्वी छोर पर सोम की विभावरीपूरी (ट्रिनिडाड-टोबेको या पोर्टोरीको सम्भव है।) पश्चिम देशान्तर 59°14' पर।
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सूर्य सिद्धान्त के अनुसार भारत में पूर्व देशान्तर 75°46 पर उज्जैन है।
सूर्य सिद्धान्त के अनुसार उज्जैन से पूर्व में 90° यानी पूर्व देशान्तर 75°46 से 90° अंश पूर्व में यानी पूर्व देशान्तर 165°46'पर यमकोटिपत्तन स्थित है।
सूर्य सिद्धान्त के अनुसार उज्जैन से 90° पश्चिम में यानी पूर्व देशान्तर 75°46 से 90° अंश पश्चिम में यानी पश्चिम देशान्तर 165°46' पर रोमक पत्तन स्थित है। तथा
उज्जैन से 180° पर विपरीत दिशा में यानी पूर्व देशान्तर 75°46 से 180° पर विपरीत दिशा में यानी पश्चिम देशान्तर 75°46 पर सिद्धपूर स्थित है।
इन्द्र, वरुण,सोम और यम की चार पूरियाँ --
पुराणों के अनुसार --
1 भारतवर्ष के पूर्व छोर पूर्व देशान्तर 120-°46' पर इन्द्र की अमरावतीपूरी स्थित है। पश्चिम छोर पूर्व देशान्तर 30°-46' पर यम की संयमनीपूरी स्थित है। (सना, अम्मान, मृत सागर, यमन)।
2 भारत के पूर्वी छोर इन्द्र की अमरावतीपूरी पूर्व देशान्तर 120°-46' से 90° अंश पूर्व पश्चिम देशान्तर 149°-14' पर वरुण की सुषापूरी (सुखापूरी) स्थित है। (हवाई द्वीप या फ्रेञ्च पोलिनेसिया)। और
3 भारत के पूर्वी छोर इन्द्र की अमरावतीपूरी पूर्व देशान्तर 120°-46' से 180° अंश पूर्व में पश्चिम देशान्तर 59°14' पर सोम की विभावरीपूरी स्थित है। (न्यूयार्क या सूरीनाम) ।
4 भारत पद्म के लोक-भारत नक्शे के सप्त लोक आकाश के सप्त लोकों के नाम पर हैं-
1 भू लोक (विन्ध्य से दक्षिण)।
2 भुवः लोक (विन्ध्य-हिमालय के बीच)।
3 स्वर्ग लोक (त्रिविष्टप = तिब्बत स्वर्ग का नाम, हिमालय)। इन्द्र के त्रिलोक थे-भारत, चीन, रूस।
4 महर्लोक (चीन के लोगों का महान् = हान नाम था)।
5 जनःलोक (मंगोलिया, अरबी में मुकुल = पितर)।
6 तपः लोक (पामीर, युक्रेन, तजाकिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और तुर्किस्तान के घाँस के मैदान (स्टेपीज), रूस का साइबेरिया )।
7 सत्यलोक (उत्तरीध्रुव वृत)।
सप्त पाताल --
भारत भाग को छोड़ कर उत्तर के तीन तथा दक्षिण के चार खण्ड, सप्ततल या सात पाताल कहलाते हैं।
भूमि के उत्तरी गोलार्ध में --
1 अतल - (भारतवर्ष के पश्चिम में पूर्व देशान्तर 30°46' से पश्चिम देशान्तर 59°14' तक। या यों कहें कि, पश्चिम देशान्तर 59°14' से पूर्व देशान्तर 30°46'तक। केतुमाल वर्ष के रोमकपत्तन के आसपास में ) अतललोक स्थित है।
2 सुतल - (भारत के पूर्व में पूर्व देशान्तर 120°46' से पश्चिम देशान्तर 149°14' तक भद्राश्ववर्ष के मध्य मे पर स्थित यमकोटी पत्तन के आसपास में।) सुतल लोक स्थित है।
3 पाताल - भारत के विपरीत दिशा में पश्चिम देशान्तर 149°14'से पश्चिम देशान्तर 59°14' तक कुरुवर्ष के मध्य में पश्चिम देशान्तर 104°-14' में स्थित (सिद्धपूर के आसपास में) पाताल लोक स्थितहै।
भूमि के दक्षिणी गोलार्ध में
4 महातल - भारतवर्ष अर्थात पूर्व देशान्तर 30°46' से पूर्व देशान्तर 120°46' तक भारत वर्ष स्थित है। भारतवर्ष में पूर्व देशान्तर 75-°46' पर स्थित उज्जैन के ही देशान्तर पर ही श्रीलंका भी स्थित है। और श्रीलंका के दक्षिण में तललोक या महातल लोक स्थित है।
(दोनों कुमारिका खण्ड कहलाते हैं। ; वर्तमान काल में भारत देश तथा भारतीय समुद्र कहलाते हैं।)
5 तलातल - (भारतवर्ष के पश्चिम में पूर्व देशान्तर 30°46' से पश्चिम देशान्तर 59°14' तक। या यों कहें कि, पश्चिम देशान्तर 59°14' से पूर्व देशान्तर 30°46'तक। ( केतुमालवर्ष के रोमकपत्तन के दक्षिण में ) अतललोक के दक्षिण तलातल लोक स्थित है।
6 वितल - (भारत के पूर्व में पूर्व देशान्तर 120°46' से पश्चिम देशान्तर 149°14' तक भद्राश्ववर्ष में यमकोटी के दक्षिण में ) सुतललोक के दक्षिण वितललोक स्थित है।
7 रसातल - भारत के विपरीत दिशा में पश्चिम देशान्तर 149°14'से पश्चिम देशान्तर 59°14' तक कुरुवर्ष के मध्य में पश्चिम देशान्तर 104°-14' में स्थित सिद्धपुर के आसपास में पाताललोक स्थित है और पाताललोक के दक्षिण में रसातल लोक स्थित है।
भारत वर्ष के ९ खण्ड--
1 कुमारिका खण्ड - हिमालय के मध्य भाग में कैलाश पर्वत शिखर स्थित है। कैलाश शिखर के पूर्व-पश्चिम क्षैत्र और दक्षिण में दक्षिणी समुद्र तक फैले क्षेत्र में भारत या कुमारिका खण्ड कहलाता है। (वर्तमान भारत ,पाकिस्तान, बंगलादेश, नेपाल, तिब्बत सहित) है।)
2 इन्द्रद्वीप खण्ड (बर्मा, थाइलैण्ड, कम्बोडिया, वियतनाम, कम्बोडिया जिसमें वैनतेय जिला है)।
3 नागद्वीप खण्ड (अण्डमान-निकोबार, पश्चिमी इण्डोनेसिया)।
4 कशेरुमान् खण्ड (पूर्व इण्डोनेसिया, बोर्नियो, न्यूगिनी, फिलिपीन)।
5 सौम्य खण्ड (उत्तर में तिब्बत)।
6 गन्धर्व खण्ड(अफगानिस्तान, ईरान)।
7 वारुण खण्ड (इराक, अरब)।
8 ताम्रपर्ण खण्ड (तमिलनाड़ु के निकट सिंहलद्वीप (श्रीलंका)।
9 समुद्र से आवृत्त (घीरा हुआ) द्वीप। लक्कादीव से मालदीव तक अर्थात लक्षद्वीप से मालदीव तक, (रावण की लंका)।
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