शुक्रवार, 15 अगस्त 2025

वैदिक सनातन धर्मियों को इनसे दूर ही रहना चाहिए।

सनातन वैदिक धर्मियों को वेद विरोधी, तामसिक तप करने वाले तान्त्रिकों (जैन), सन्देह वादी (बौद्धों), अश्लील मुद्राएँ बनाने वाले, मदिरा पीकर, मत्स्य और मान्स खाकर, मैथुन कर तान्त्रिक पूजा और होम-हवन करने वाले, चमत्कार दिखा कर आकर्षित करने वाले, सन्देहवाद और सेकुलरिज्म का झूठा पाठ पढ़ाकर अब्राहमिक मत को पोषित करने वाले कोरे तार्किकों और अब्राहमिक बाबाओं से दूर रहना चाहिए।
जो लोग इस श्रेणी में आते हैं उनकी जानकारी दी है।
बाहुबली, शान्तिनाथ, नेमिनाथ, पारसनाथ, वर्धमान महावीर जैसे वेद विरोधी, अनीश्वरवादी, सिद्धार्थ बुद्ध जैसे माध्यमिक, मत्स्येन्द्रनाथ, गोरखनाथ आदि वर्णाश्रम व्यवस्था के विरोधी नाथों , महावतार बाबा, श्यामाचरण लाहिड़ी महाशय उनके तीन प्रमुख शिष्य युक्तेश्वर गिरि, केशवानन्द और प्रणवानन्द तथा युक्तेश्वर गिरि के शिष्य परमहंस योगानन्द; इसी सम्प्रदाय के हेड़ाखान बाबा, रामकृष्ण जैसे मांसाहारी तान्त्रिक और चमत्कारी उनके मान्साहारी, व्यसनी शिष्य विवेकानन्द जैसे सेकुलर, नीम करोली बाबा, अक्कलकोट के स्वामी समर्थ,और उनके शिष्य बालप्पा महाराज, चोलप्पा महाराज, अलंदी के नृसिंह सरस्वती महाराज, वेङ्गुरला के आनन्दनाथ महाराज, मुंबई के स्वामीसुत महाराज, पुणे के शंकर महाराज, पुणे के रामानन्द बीडकर महाराज और उनके अनुयायी गजानन महाराज, खण्डवा के अवधूत बड़े दादा महाराज जी और छोटे दादा महाराज जैसे चमत्कारी सिद्धों और नाथों।
अरविन्द, बौद्ध विचारक जिद्दु कृष्णमूर्ति और जैन विचारक रजनीश जैसे कोरे तार्किक। 
इस्कॉन के प्रभुपाद, कृपालु महाराज, रामपाल, गुरुमित राम रहीम, आशाराम, 

और कसाई बाबा जैसे मुस्लिम फकीरों से दूर रहने में ही भलाई है।

जैन-बौद्ध और नाथ और शैवों, शाक्तों के सम्प्रदाय में वर्णाश्रम का नहीं सीधे संन्यास का महत्व है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें