आचार्य दार्शनेय लोकेश जी के अनुसार
*"वेद में 'राशि' शब्द नहीं किन्तु 'प्रधयः' शब्द राशियों के अर्थ में (अथर्ववेद १०/८/४) ही आया है। 'प्रधि' शब्द क्रान्तिवृत्त के १२ भागों के अर्थ में आया है।"*
अर्थात सायन राशियों के लिए प्रधय शब्द और तारामण्डल के आधार पर तेरह राशियों को आचार्य वराहमिहिर के अनुसार अरे लिखा जाना उचित होगा।
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