रविवार, 6 जुलाई 2025

सृष्टि का कारण और सृष्टि के पहले क्या था?

प्रश्न यह है कि, 

1 जिसके पहले सत भी नहीं था, असत भी नहीं था ।

2 दुसरा कहीं लिखा है कि, पहले केवल असत था, और असत से सत की उत्पत्ति हुई 

दुसरे ऋषि का कहना है कि, पहले केवल सत था और सत से उत्पत्ति हुई 

3 तीसरी ओर कहा जाता है कि, सृष्टि उत्पत्ति एकार्णव जल से हुई।

इन सब की मीमांसा कैसे की जाए? सत्य क्या है? किसे सत्य माना जाए?

  उत्तर - 
1 सत मतलब अस्तित्व नही था। लेकिन अनस्तित्व भी तो नहीं था। क्योंकि परमात्मा तो सदैव से है, सदैव रहेगा। सनातन है। इसलिए सृष्टि नहीं होने से जगत का अस्तित्व नही होते हुए भी परमात्मा तो था ही इसलिए अनस्तित्व भी नहीं था।

2 पहले असत था; असत से ही सत (अस्तित्व) हुआ । मतलब सृष्टि के पहले जगत का अस्तित्व नही था। उस अभाव की पूर्ति जगत की उत्पत्ति से हुई।

सत से ही सत की उत्पत्ति हुई मतलब परमात्मा के (विश्वात्मा) ॐ संकल्प से परमात्मा स्वयम [प्रज्ञात्मा अर्थात परम पुरुष  और परा प्रकृति] परब्रह्म परमेश्वर (अर्थात विष्णु और माया) के स्वरूप में प्रकट हुआ। फिर [प्रज्ञात्मा अर्थात पुरुष और प्रकृति)  ब्रह्म (अर्थात प्रभविष्णु जनक, प्रेरक रक्षक सवितृ और श्री लक्ष्मी या सावित्री) के स्वरूप में प्रकट हुआ। जिसने सृष्टि सृजन किया।

3 एकार्णव जल से सृष्टि उत्पत्ति -- यह एकार्णव जल पुरुष (प्रभविष्णु सवितृ) की प्रकृति (श्री लक्ष्मी सावित्री) है। इस प्रकृति से ही आगे की सृष्टि हुई।
परमात्मा ही जीवात्मा (अर्थात अपर पुरुष जीव और त्रिगुणात्मक अपरा प्रकृति आयु) अपर ब्रह्म (अर्थात नारायण श्रीहरि और नारायणी पद्मासना कमला गज लक्ष्मी) हुए।
ये अपर पुरुष नारायण त्रिगुणात्मक अपरा प्रकृति नार पर अवस्थित हैं। और प्रत्यागात्मा ब्रह्म (पुरुष और प्रकृति)  पर आश्रित हैं। क्योंकि प्रत्येक का व्यक्तिगत अस्तित्व प्रत्यागात्मा ब्रह्म के कारण ही है।
जीवात्मा अपर ब्रह्म से भूतात्मा (देहि और अवस्था) हिरण्यगर्भ (विश्वकर्मा/ पञ्च मुखी ब्रह्मा/ अण्डाकार) (त्वष्टा और रचना) हुआ। त्वष्टा ने ब्रह्माण्ड के गोले घड़े। इस प्रकार भौतिक सृष्टि हुई।
जैविक सृष्टि के लिए परमात्मा सुत्रात्मा (ओज और आभा या रेतधा और स्वधा) प्रजापति हुए। प्रजापति को देवस्थानी प्रजापति (1) इन्द्र - शचि और (2) अग्नि - स्वाहा ।
अन्तरिक्ष स्थानी प्रजापति (3) रुद्र - रौद्री और  (4) पितर - स्वधा भू स्थानी प्रजापति (5) दक्ष प्रथम - प्रसुति, (6) रुचि - आकुति (7) कर्दम - देवहूति के रूप में जानते हैं। इनके अलावा आठवें स्वायम्भुव मनु और शतरूपा हूए जो राजन्य हुए। इन लोगों ने ही जैविक सृष्टि की।
इनके अलावा भूमि पर ये
आठ भूस्थानी प्रजापति ये हुए (1) मरीची-सम्भूति, (2) भृगु-ख्याति, (3) अङ्गिरा-स्मृति, (4) वशिष्ट-ऊर्ज्जा, (5) अत्रि-अनसुया, (6) पुलह-क्षमा, (7) पुलस्य-प्रीति, (8) कृतु-सन्तति। जिन्होंने मैथुनिक सृष्टि उत्पत्ति की। इनके अलावा नारद जी मुनि होगये। इस कारण नारद जी को प्रजापति नहीं कहते हैं।
ये सभी आत्मज्ञानी ब्रह्मज्ञानी महापुरुष हैं इसलिए ब्राह्मण कहलाते हैं।
इस प्रकार प्रत्यागात्मा ब्रह्म (पुरुष और प्रकृति)  पर आश्रित और  त्रिगुणात्मक अपरा प्रकृति नार अर्थात एकार्णव जल पर अवस्थित जीवात्मा (अर्थात अपर पुरुष जीव और त्रिगुणात्मक अपरा प्रकृति आयु) अपर ब्रह्म (अर्थात नारायण श्रीहरि और नारायणी पद्मासना कमला गज लक्ष्मी) को भौतिक और जैविक सृष्टि का कारण माना जाता है। यही एकार्णव जल (त्रिगुणात्मक अपरा प्रकृति) सृष्टि के आदि में था।
इस प्रकार मीमांसा पूर्ण हुई।

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