मंगलवार, 24 दिसंबर 2024

वसन्त सम्पात और चित्रा तारे से भूमि और सूर्य के बीच बनने वाले 000°, 90°, 180° और 270° के कोण के आधार पर सनातन वैदिक धर्म के आठ महत्वपूर्ण और मुख्य पर्वोत्सव।

*वसन्त सम्पात और चित्रा तारे से भूमि और सूर्य के बीच बनने वाले 000°, 90°, 180° और 270° के कोण के आधार पर सनातन वैदिक धर्म के आठ महत्वपूर्ण और मुख्य पर्वोत्सव।* 

दक्षिणायन या शीतकालीन अयनान्त या (Winter solstice) दिनांक 21 दिसम्बर 2024 शनिवार को 14:51 बजे अर्थात दोपहर 02:51 बजे हुआ। इस दिन सबसे छोटा दिन तथा सबसे बड़ी रात्रि होती है। इस दिन सूर्य की दक्षिण परम क्रान्ति होती है अर्थात सूर्य उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ते हुए अन्तिम सीमा भूमि के मकर रेखा के शीर्ष पर पहूँचकर उत्तर की ओर होने लगता है।
निरयन मकर मासारम्भ 14 जनवरी 2025 मङ्गलवार को प्रातः 08:56 बजे होगा। इसदिन प्रयागराज महाकुम्भ में मुख्य स्नान होगा।
अश्विनी आदि बिन्दु या निरयन मेषादि बिन्दु से 270°° पर अर्थात चित्रा तारे से 90° पर निरयन मकरादि बिन्दु माना जाता है। जिस समय सूर्य निरयन मकरादि बिन्दु पर होता है उस समय से निरयन मकर मासारम्भ होता है। इसे परम्परा से मकर संक्रान्ति भी कहते हैं। इस दिन प्रयागराज में स्नान तथा केरल में अय्यप्पा मन्दिर में दर्शन विशेष परम्परा है।

सनातन धर्म में नव संवत्सर अर्थात नव वर्षारम्भ का पर्व भूमि और सूर्य तथा नक्षत्र मण्डल की स्थिति के आधार पर निम्नलिखित दिनों में मनाया जाता है। इसमें वसन्त विषुव नव संवत्सर प्रारम्भ तथा शरद विषुव और अयनान्त (उत्तरायण और दक्षिणायन संक्रान्ति) मुख्य हैं। इन दिनों में वैदिक सनातन धर्म के अनुसार और वसन्त विषुव (नव संवत्सर प्रारम्भ) के समय और अयनान्त के समय गङ्गा, यमुना, सरस्वती, सिन्धु, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी, शिप्रा, पुष्कर, नैमिषारण्य, कुरुक्षेत्र, सौरों, बद्रीनाथ, जगन्नाथ, द्वारिका, रामेश्वरम के तीर्थों में स्नान,  होम- हवन, अग्निहोत्र और दान किया जाता है।
कर्क रेखा उज्जैन नगर से होकर गुजरती है। इसलिए इस दिन उज्जैन, शिप्रा- सरस्वती (कान्ह नदी का सङ्गम पर) त्रिवेणी पर स्नान और महाकाल वन क्षेत्र की यात्रा का विशेष महत्व है। इसी प्रकार प्राकृतिक रूप से ॐ आकृति की पर्वत पर ॐकारेश्वर और उसी के सामने नर्मदा के दुसरे तट पर ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग है। समीप ही नर्मदा और कावेरी नदी का सङ्गम है‌।
अतः इन तीर्थ स्थल पर स्नान दान, होम- हवन किया जाता है।
दुसरे दिन सूर्योदय के पूर्व संध्या, गायत्री मन्त्र जप और सूर्योदय समय वैदिक अग्निहोत्र तथा पैड़-पौधों, गो, कुकर, पक्षियों, पिप्पलिका (चींटी) और यथायोग्य विद्यार्थियों, बिमारों, अपाहिजों, वृद्धों की सेवा की जाती है।

 
वसन्त विषुव (Vernol Equinox) दिनांक 20 मार्च 2025 गुरुवार को 14:31 बजे अर्थात दोपहर 02:31 बजे होगा। इस समय हमारा नव संवत्सर (नव वर्ष) प्रारम्भ होता है। जिसे धार्मिक दृष्टि से इसके बाद सूर्योदय से लागू माना जाता है। वसन्त विषुव के समय सूर्य दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ते हुए भूमि की भूमध्य रेखा के शीर्ष पर पहूँच जाता है। और दक्षिण गोलार्ध से उत्तर गोलार्ध में प्रवेश करता है। उत्तरी ध्रुव पर सूर्योदय और दक्षिणी ध्रुव पर सूर्यास्त हो जाता है। वेदों के अनुसार इसे देवों कि दिन प्रारम्भ और पितरों की रात्रि प्रारम्भ कहा गया है।
वैदिक सनातन धर्म के अनुसार अयनान्त समय और वसन्त विषुव (नव संवत्सर प्रारम्भ) के समय तीर्थ स्नान, होम- हवन, अग्निहोत्र और दान किया जाता है।
दुसरे दिन सूर्योदय के पूर्व संध्या, गायत्री मन्त्र जप और सूर्योदय समय वैदिक अग्निहोत्र तथा पैड़-पौधों, गो, कुकर, पक्षियों, पिप्पलिका (चींटी) और यथायोग्य विद्यार्थियों, बिमारों, अपाहिजों, वृद्धों की सेवा की जाती है।

ऐसे ही उत्तरायण या ग्रीष्म अयनान्त (Summer solstice) दिनांक 21 जून 2025 शनिवार को प्रातः 08:11बजे तथा दूसरे दिन सूर्योदय समय भी किया जाता है। इस दिन सबसे बड़ा दिन, सबसे छोटी रात्रि होती है। सूर्य की उत्तर परम क्रान्ति होती है अर्थात सूर्य दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ते हुए अन्तिम सीमा भूमि की कर्क रेखा के शीर्ष पर पहूँचकर उत्तर की ओर होने लगता है। कर्क रेखा हमारे निकट उज्जैन नगर से होकर गुजरती है। इसलिए इस दिन उज्जैन, शिप्रा सङ्गम स्नान और महाकाल वन क्षेत्र की यात्रा का विशेष महत्व है।
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शरद विषुव (Autumn Equinox) दिनांक 22 सितम्बर 2025 सोमवार को 23:49 बजे अर्थात रात्रि 11:49 बजे तथा दूसरे दिन सूर्योदय समय भी उपर लिखितानुसार कर्म किया जाता है ।

इसके बाद दक्षिणायन या दक्षिण अयनान्त (Winter Solstice) 21 दिसम्बर 2025 रविवार को 20:32 बजे अर्थात रात्रि 8:32 बजे होगा।

निरयन मकर मासारम्भ 14 जनवरी 2025 मङ्गलवार को प्रातः 08:56 बजे होगा। इसदिन प्रयागराज महाकुम्भ में मुख्य स्नान होगा।

इसी प्रकार वेदों में चित्रा तारे को क्रान्तिवृत के मध्य में अर्थात 180° पर माना गया है। इसलिए नक्षत्र पट्टी का प्रारम्भ 000° चित्रा तारे से 180° पर स्थित बिन्दु से माना जाता है। इसे अश्विन्यादि बिन्दु कहते हैं। वराहमिहिर के बाद प्रचलित तीस अंशों वाली राशि प्रणाली अपनाई जाने के बाद इस बिन्दु को निरयन मेषादि बिन्दु भी कहते हैं। संयोग से वर्तमान में उस स्थान पर कोई तारा स्थित नहीं है। लेकिन किसी समय इस 000° बिन्दु पर रेवती तारा स्थित था जो वर्तमान में लगभग चार अंश से अधिक खिसक चुका है।
जब भू केन्द्र से सूर्य चित्रा तारे से 180° पर होता है तब निरयन मेष मास प्रारम्भ होता है। इसी दिन से नाक्षत्रीय सौर नव संवत्सर प्रारम्भ होता है जिसे निरयन सौर वर्ष का प्रारम्भ कहते हैं। 
दिनांक 13 उपरान्त 14 अप्रेल 2025 रविवार Monday को उत्तर रात्रि 03:22 बजे निरयन मेषारम्भ मास वैशाखी कि प्रारम्भ होगा। अतः संकल्पादि में पञ्जाब हरियाणा , हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड में विक्रम संवत 2082 का प्रारम्भ होगा।
इस दिन से पञ्जाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड में विक्रम संवत प्रारम्भ होता है।
बङ्गाल,उड़ीसा, और उत्तर पूर्व के राज्य असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा आदि मे, तथा तमिलनाडु और केरल में भी नव संवत्सर (नव वर्ष) मनाया जाता है।

अश्विनी आदि बिन्दु या निरयन मेषादि बिन्दु से 90° पर अर्थात चित्रा तारे से 270° पर निरयन कर्कादि बिन्दु माना जाता है। 
जिस समय सूर्य निरयन कर्कादि बिन्दु पर होता है तब निरयन कर्क मास प्रारम्भ होता है।
दिनांक 16 जुलाई 2025 बुधवार को 17:32 बजे अर्थात दिन में 05:33 बजे निरयन कर्क मास प्रारम्भ होगा।

ऐसे ही चित्रा तारे से निरयन तुलादि तुला राशि का प्रारम्भ होता है। अर्थात अश्विनी आदि बिन्दु या निरयन मेषादि बिन्दु से 180° पर निरयन तुलादि बिन्दु कहते है।
जिस समय सूर्य चित्रा तारे पर होता है तब से निरयन तुला मासारम्भ होता है।
दिनांक 17 अक्टूबर 2025 को 13:46 बजे अर्थात दोपहर 01:46 बजे निरयन तुला मासारम्भ होगा।

अश्विनी आदि बिन्दु या निरयन मेषादि बिन्दु से 270°° पर अर्थात चित्रा तारे से 90° पर निरयन मकरादि बिन्दु माना जाता है। जिस समय सूर्य निरयन मकरादि बिन्दु पर होता है उस समय से निरयन मकर मासारम्भ होता है। इसे परम्परा से मकर संक्रान्ति भी कहते हैं। इस दिन प्रयागराज में स्नान तथा केरल में अय्यप्पा मन्दिर में दर्शन विशेष परम्परा है।
14 जनवरी 2026 बुधवार को 15:05 बजे अर्थात दोपहर 03:05 बजे निरयन मकर मास प्रारम्भ होगा।
उक्त चारों दिवसों को भी सायन संक्रान्तियों के समान ही पर्व मनाया जाता है।

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