सोमवार, 16 अक्टूबर 2023

देव्य अथर्वशीर्ष ब्राह्मण भाग है। देव्य अथर्वशीर्ष से गणेश अथर्वशीर्ष में कोई समानता नहीं।

दैव्य अथर्वशीर्ष से निकला मन्त्र है। अर्थात अथर्ववेदीय मन्त्र है। यह सही है कि, अथर्ववेद वेद त्रयी में नही है।
फिर भी कृष्ण यजुर्वेद और अथर्ववेद को वैदिक ही माना जाता है।
गणेश अथर्वशीर्ष से देव्यथर्वशीर्षम् की तुलना नहीं हो सकती।
प्रथम तो देव्यथर्वशीर्षम् ऋग्वेदोक्तं देवीसूक्तम् की व्याख्या है। अतः ब्राह्मण भाग हुआ।  दुसरा देवी सूक्तम और देव्यथर्वशीर्षम् दोनों में देवी स्वयम् अपने बारे में बतलाती है। जबकि, गणेश अथर्वशीर्ष में उपासक देवता की प्रशंसा करता है।
गणेश अथर्वशीर्ष किसी वैदिक सूक्त की व्याख्या नही है। भक्त ने स्वयम् अपनी भावनाएँ व्यक्त की है।
गणेश अथर्वशीर्ष की तुलना पुष्पदन्त गन्धर्व रचित शिव महिम्न स्तोत्र से की जा सकती है।
जिसमें रुद्र सूक्त पर कोई विचार नहीं किया गया।

 

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