गुरुवार, 15 दिसंबर 2022

महर्षि अगस्त का समुद्र का पानी पी जाना और विंध्याचल को झुके रहनें का आदेश की वास्तविकता।

वास्तव में उल्का टकराने से भूमि का झुकाव बढ़ जाने के कारण या अगस्त तारा का दक्षिण में खिसकने के परिणामस्वरूप या उसी समय अफ्रीका से टूटकर एक खण्ड जिसके उत्तर में सतपुड़ा पर्वत था आर्यावर्त वाली भूमि जिसका दक्षिण सीमा पर विन्यगिरि स्थित था उस विन्द्य गिरि से टकरा कर दक्षिण भारत का हिस्सा भारत में जुड़ने से नर्मदा घाँटी का समुद्र का पानी फैलकर अरब सागर और बङ्गाल की खाड़ी में चले जाना और उस स्थान पर विंध्याचल पर्वत बड़ा ऊँचा हो जाना फिर विन्याचल का अधिकतम (सीमान्त) ऊँचाई पा लेनें के बाद अचानक धँस जाना। बादमें और एशिया यूरोप से जुड़ गया यूराल पर्वत के रोकने के कारण ठीक इसी प्रकार उत्तर सागर के स्थान पर उत्तर गिरि बनना जो कुछ वर्षों बाद हिमाचल बन गया और अब हिमालय बन गया। अफ्रीका से आस्ट्रेलिया भी अलग हो गया। आज भी नर्मदा घाँटी और हिमालय में समुद्र के अवशेष मिलते हैं। और दोनों भाग अन्दर से पोले / खोखले माने जाते हैं।
इसी घटना को अगस्त मुनि के दक्षिण में जानें पर विन्द्याचल का झुकना और अगस्त द्वारा झुके रहनें का निर्देश के पालन में आजतक झुका रहना तथा अगस्त द्वारा समुद्र का पानी सोख लेना कहा जाता है।
जैसे आर्य आक्रमण की थ्योरी गड़ी गई उसी प्रकार विन्याचल और यूराल पर्वत के बीच के भाग को भी अफ्रीका का हिस्सा बतलाया गया। जबकि विंध्याचल और सतपुड़ा, उत्तर भारत और दक्षिण भारत की रचना में जमीन आसमान का अन्तर है।
सुचना - अगस्त तारा का दक्षिण में खिसकना और महिषासुर द्वारा खूर से भूमि को तेजी से घुमाना (मार्कण्डेय पुराण/ दुर्गा सप्तशती मध्यम चरित्र) की घटनाओं का मतलब  उल्का टकराने से भूमि का झुकाव बढ़ना और कुछ समय भूमि का अपनी धूरी पर तेजी से घूमना की घटना होना अधिक सम्भव है।  

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