खगोलीय घटना होनें के पहले सतर्कता बरतें। घटना के बाद स्नान -दान, यज्ञ-होम करें।
धर्मशास्त्र में एक अनोखी परम्परा है कि, सूर्य और चन्द्रमा और भूमि के परस्पर विशिष्ट योग निर्मित होनें पर उस योग बननें के पहले उस की सावधानियाँ बरती जाती है। और घटना घटित होने के बाद स्नान - दान, यज्ञ - होम करने का विधान है।
जैसे संक्रान्ति, सूर्यग्रहण, चन्द्र ग्रहण तथा शुक्ल पक्ष की अष्टमी, एकादशी, पूर्णिमा और कृष्णपक्ष की पञ्चमी, अष्टमी, एकादशी,अमावस्या तिथियों को उपास रखते हैं और दूसरे दिन स्नान - दान, यज्ञ - होम करते हैं।
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