*1 संवत्सर,2 परिवत्सर, 3 इदावत्सर, 4 अनुवत्सर और 5 इद्वत्सर नामक सावन वर्षों के युगों का 3840 (तीन हजार आठ सौ चालिस) वर्षीय महायुग।*
1 संवत्सर - बारह मास / तीनसौ साठ दिन का प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ । फिर षष्ट, सप्तम,अष्टम और नवम वर्ष । वर्ष 360 दिन का वर्ष। सामान्य संवत्सर।
2 परिवत्सर - अधिवर्ष / लीप ईयर। वर्षान्त में एक अधिक मास जोड़कर तेरह मास का तीनसौ नब्भे दिन का वर्ष। फिर ऐसे ही दशम वर्ष, पन्द्रहवाँ वर्ष, बीसवाँ, पच्चीसवाँ, तीसवाँ और (3835 वाँ वर्ष छोड़कर ) पैंतीसवाँ वर्ष 390 दिन का वर्ष।
परिवत्सर के अन्त में सायन सौर वर्ष और सावन वर्ष का लगभग मैल हो जाता है।
3 इदावत्सर - द्वादश मास का तीनसौ साठ दिन का वर्ष। लेकिन केवल चालिसवाँ, अस्सीवाँ, एकसौ बीसवाँ .......अर्थात (3840 वाँ वर्ष छोड़ कर) प्रत्येक चालिसवाँ वर्ष । जिसे अधिवर्ष/ लीप इयर होना था लेकिन अपवाद स्वरूप अधिवर्ष/ लीप इयर नही होता।
इदावत्सर के अन्त में सायन सौर वर्ष और सावन वर्ष का लगभग-लगभग मैल हो जाता है।
4 अनुवत्सर - बारह मास का तीनसौ साठ दिन का वर्ष ।लेकिन केवल प्रत्यैक 3835 वाँ वर्ष ही।
जिसे अधिवर्ष/ लीप इयर होना था लेकिन अपवाद स्वरूप अधिवर्ष/ लीप इयर नही होता।
अनुवत्सर के अन्त में सायन सौर वर्ष और सावन वर्ष का पूर्णमैल हो जाता है।
5 इद्वत्सर - बारह मास का तीनसौ साठ दिन का वर्ष ।लेकिन केवल प्रत्यैक 3840 वाँ वर्ष ही।
जिसे अधिवर्ष/ लीप इयर होना था लेकिन अपवाद स्वरूप अधिवर्ष/ लीप इयर नही होता।
इस इदवत्सर के अन्त में सायन सौर वर्ष और सावन वर्ष का पूर्णतः मैल हो जाता है।
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