ब्राह्मधर्म अर्थात सनातन वैदिक धर्म में परमात्मा,विश्वात्मा ॐ,प्रज्ञात्मा परब्रह्म, परम दिव्य पुरुष विष्णु, परमेश्वर आदि परम दिव्य शक्ति के नाम बतलाये गये हैं।
किन्तु सनातन धर्मी (जो स्वयम् को हिन्दू अर्थात दास मानते हैं वे) इनमें से कोई नाम लेनें में डरते हैं कि, कहीँ, सेकुलर छवि पर धब्बा न लग जाये।
और आलस्यवश चीनियों या पाकिस्तानियों द्वारा फैसबुक/व्हाट्सएप/ इण्ट्राग्राम/ ट्वीटर के लिए तैयार किये गये मेसेज फारवर्ड करते रहते हैं।
जैन नास्तिक हैं किसी सृष्टि सृजेता, सृष्टि नियामक और सृष्टि सञ्चालक के अस्तित्व को नही मानते फिरभी वे भगवान बोलते हैं।
बौद्ध नास्तिक हैं, ईश्वर के विषय में मौन हैं, फिरभी भगवान बुद्ध बोलते हैं।
खालसा अकाल पुरुख बोलते हैं। या वाहेगुरु बोलते हैं।
पारसी अहुरमज़्द बोलते हैं।
यहुदी और ईसाई यहोवा परमेश्वर , परम पिता परमेश्वर बोलते हैं।
मुस्लिम अल्लाह बोलते हैं।
किन्तु सनातन धर्मी सर्वशक्तिमान, परम शक्ति, कोई शक्ति है जो सबकुछ सञ्चालित कर रही है, ऐसे उद्गार प्रकट कर स्वयम् को विकसित वैज्ञानिक मानसिकता का प्रदर्शित करने का प्रयास करते हैं। जो पूर्णतः अनुचित और गलत है।
हमें भी अपने धर्म के परम देव का नाम सगर्व लेना चाहिए। सश्रद्धा विश्वास पूर्वक सगर्व स्वीकारना चाहिए कि, परमात्मा ने सृष्टि सृजित की, परमात्मा परब्रह्म विष्णु स्वरूप में सृष्टि सञ्चालित करते हैं। हमारा मुख्य मन्त्र ॐ है। हमारा गुरुमन्त्र सावित्री मन्त्र अर्थात गायत्री मन्त्र है।
हम वैदिक सनातनधर्मी हैं। परमात्मा, ॐ या विष्णु हमारे इष्टदेव हैं।
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