शनिवार, 25 सितंबर 2021

नामकरण के लिए कौनसी पद्यति सही है? ; अवकहड़ा चक्र और कीरो न्युमरोलॉजी या प्राचीन संस्कृत पद्यति ?

नामकरण के लिए क्या सही ? अवकहड़ा चक्र और कीरो अंकविद्या? या प्राचीन संस्कृत पद्यति?

जन्म नाम जानने का  या अवकहोड़ा चक्र जिसका नाम ही विचित्र है और आधारहीन है।

राशि /नक्षत्र चरण    १  २    ३   ४  
  
मेष  /   अश्विनि      चु  चे   चो  ला                              मेष  /    भरणी      ली  लू  ले   लो                              मेष  /   कृतिका      अ    
                 
                            १  २    ३   ४

वृष   / कृतिका            इ    उ    ए
वृष   / रोहिणी      ओ   वा  वी   वु
वृष   / मृगशिर्ष     वे  वो  

                           १   २   ३   ४

मिथुन/ मृगशिर्ष               का  की
मिथुन/ आर्द्रा         कु   ङ    ग   छ
मिथुन/पुनर्वसु       के  को  ह 

                          १   २    ३   ४

कर्क  / पुनर्वसु                      ही
कर्क  / पुष्य           हु  हे   हो  ड़ा 
कर्क  / आश्लेषा    डि  डु    डे  डो

                               १   २   ३   ४

सिंह  / मघा               मा  मे  मी  मू
सिंह/पुर्वाफाल्गुनि       मो  टा  टी  टू
सिंह/उत्तराफाल्गनि     टे

                                   १  २   ३  ४

कन्या/उत्तराफाल्गुनि          टो  पा  पी
कन्या  /  हस्त               पु   ष  ण   ठ
कन्या  /  चित्रा              पे  पो   

                                  १  २   ३  ४

तुला  /    चित्रा                      रा  री
तुला  /    स्वाती           रु  रे   रो  ता
तुला  /  विशाखा          ति  तू  ते  

                                 १   २    ३  ४

वृश्चिक/ विशाखा                         तो
वृश्चिक/ अनुराधा           ना  नी   नू  ने
वृश्चिक/ ज्यैष्ठा               नो  या  यी यू

                                  १  २   ३   ४

धनु   /  मुल                ये  यो  भा  भी
धनु   / पुर्वाषाढ़ा          भू  धा फा  ढ़ा
धनु  / उत्तराषाढ़ा         भे

                                 १   २   ३   ४

मकर/ उत्तराषाढ़ा              भो जा जी
मकर/ अभिजित          जू  जे जो  खा
मकर /  श्रवण             खी खू  खे खो
मकर / धनिष्ठा             गा  गी             

                                  १   २   ३   ४

कुम्भ / धनिष्ठा                         गु   गे
कुम्भ / शतभिषा            गो  सा सी  सू
कुम्भ / पुर्वाभाद्रपद         से  सो  दा  

                                      १  २  ३  ४

मीन /  पुर्वाभाद्रपद                        दी
मीन / उत्तराभाद्रपद          दू   थ  झ ञ
मीन /  रेवती                    दे  दो चा ची

जो महानुभाव उक्त  अवकहोड़ा/अवकहड़ा चक्र को भारतीय ऋषि मुनियों की रचना मानते हैं कृपया विचार कर बतलायें कि, कौन से भारतीय ऋषि संस्कृत नही जानते थे। जिन्हें यह नही पता था कि, 
1 संस्कृत में ङ (आर्द्रा 2),ण (हस्त 3), से कोई शब्द नही बनता। किसी शब्द का प्रथमाक्षर ङ और ण नही होता।
2 पूरे अवकहड़ा चक्र में ब वर्ण है ही नही। ब के लिए कोई राशि/ नक्षत्र/ नक्षत्र चरण मे स्थान नही है?
कृपया बतलायें कि, बबीता की राशि/ नक्षत्र/ चरण कौनसा है। वृष राशि/ रोहिणी नक्षत्र/ तृतीय चरण तो "वा" वाणी के लिये है न कि, "ब" बबीता के लिए। ऐसा क्यो?
3 कौनसा संस्कृत विद्वान ऐसी बे सिर पेर की अक्षर व्यवस्था बनायेगा? जबकि संस्कृत वर्ण प्रधान भाषा है न कि, अक्षर प्रधान।

ऐसे महान ऋषि और उनके अनुयायियों के लिए हमारे पास कोई शब्द नही है।

सम्भवतया वराहमिहिर के समय प्रचलित हुई उपर्युक्त यमन पद्यति / यवन पद्यति है इसके ही समान ही कीरो की आंग्ल / चाल्डियन / हिब्रु पद्यति (और तथाकथित भारतीय कश्मीरी पद्यति) द्वारा नामाक्षरों के अंको के योगांक वाली पद्यति है। जिसका कोई आधार सिद्ध नही होता। ⤵️

जन्म नाम कीअंग्रेजी स्पेल्लिंग के अक्षरों के अंको का योग का योग या योग कें अंकों का  योगांक ग्रेगोरियन केलेण्डर की सुर्योदय वाली दिनांक एक ही हो।
जन्म नाम कीअंग्रेजी स्पेल्लिंग के अक्षरों के अंक

1 = A. I. J. Q. Y     = 1
2 = B. K. R.            = 2
3 = C. G. L. S.        = 3
4 = D. M. T             = 4
5 = E. H. N. X         = 5
6 = U. V. W             = 6
7 = O. Z                  = 7
8 = F. P                   = 8


अब नीचे देखिए।⤵️

जन्मनाम निर्धारण प्राचीन संस्कृत पद्यति से।

देखिये अग्निपुराण अध्याय 293 श्लोक 10 से 15 तक।
यह विधि अग्नि पुराण  मन्त्र - विद्या  के अन्तर्गत नक्षत्र - चक्र, राशि चक्र और सिद्धादादि मन्त्र शोधन प्रकार में दी गई है उसमे नामकरण की दृष्टि से आवश्यक संशोधन कर तैयार गई है।
जन्मलग्न के नक्षत्र चरण के अनुसार जन्मनाम/ देह नाम रखें।
नही बने तो अपवाद में दशम भाव स्पष्ट के नक्षत्र चरणानुसार कर्मनाम भी रख सकते हैं।
सुर्य के नक्षत्र चरणानुसार गुरु प्रदत्त अध्यात्मिक नाम / आत्म नाम।
तन्त्र क्रिया हेतु तान्त्रिक आचार्य प्रदत्त नाम मानस नाम जन्म कालिक चन्द्रमा के नक्षत्र चरणानुसार रखें

प्राचीन संस्कृत पद्यति -- 

राशि /नक्षत्र चरण     १  २    ३   ४  
मेष  /   अश्विनी      अ  अ   अ  अ                          मेष  /    भरणी      आ आ  आ आ                          मेष  /   कृतिका      इ                  
                             १  २    ३   ४
वृष   / कृतिका            इ    ई   ई
वृष   / रोहिणी         उ  उ   ऊ ऊ
वृष   / मृगशिर्ष       ऋ ऋ  
                             १   २   ३    ४
मिथुन/ मृगशिर्ष                ऋ  ऋ
मिथुन/ आर्द्रा          ए    ए  ऐ   ऐ
मिथुन/पुनर्वसु         ओ ओ औ 
                              १   २    ३   ४
कर्क  / पुनर्वसु                        औ
कर्क  / पुष्य             अं  अं  अः अः
कर्क  / आश्लेषा       क का  ख खा 
                               १   २   ३   ४
सिंह  / मघा               ग गा  घ  घा
सिंह/पुर्वाफाल्गुनि      च चा छ  छा
सिंह/उत्तराफाल्गनि    ज
                                 १   २  ३   ४
कन्या/उत्तराफाल्गुनि      जा  झ झा
कन्या  /  हस्त             ट  टा   ठ  ठा
कन्या  /  चित्रा            ड  डा   
                                 १  २   ३  ४
तुला  /    चित्रा                     ढ  ढा
तुला  /    स्वाती           त ता  थ था
तुला  /  विशाखा          द  दा ध    
                                  १   २   ३  ४
वृश्चिक/ विशाखा                       धा
वृश्चिक/ अनुराधा          न  न  ना  नृ
वृश्चिक/ ज्यैष्ठा              प पा  फ फा
                                   १   २   ३   ४
धनु   /  मुल                  ब  बा  भ भा
धनु   / पुर्वाषाढ़ा            म  म  मा  मृ
धनु  / उत्तराषाढ़ा           य
                                    १  २   ३  ४
मकर/ उत्तराषाढ़ा               य   य या
मकर /  श्रवण                र   र   रा  रृ
मकर / धनिष्ठा                ल ल
                                     १  २   ३  ४
कुम्भ / धनिष्ठा                         ला लृ
कुम्भ / शतभिषा              व  व   वा वृ
कुम्भ / पुर्वाभाद्रपद          श  शा ष  
                                      १  २   ३   ४
मीन /  पुर्वाभाद्रपद                        षा
मीन / उत्तराभाद्रपद        स  स   सा सृ
मीन /  रेवती                  ह   ह   हा  हृ

मात्रा लगाने की विधि / नियम --

प्रथम एवम् त्रतीय चरण में मुल स्वर हैं। द्वितीय और चतुर्थ चरण में आ से औ तक की मात्रा वाले अक्षर  जन्मनाम का प्रथमाक्षर रहेगा।

जिन नक्षत्रों में प्रथम और त्रतीय चरण में अलग अलग वर्ण हो उनमें द्वितीय चरण में प्रथम चरण के वर्ण में और चतुर्थ चरण में त्रतीय चरण के वर्ण में ००ं-००' से ००ं-२०' तक ा की मात्रा लगायें। तदनुसार ही आगे भी ००ं-२१' से ००-४०' तक ि  की मात्रा लगायें।००ं-४१' से ०१ं-००' तक ई की मात्रा ।०१ं-०१' से ०१ं-२०' तक ु की मात्रा।०१ं-२१' से ०१ं-४०' तक ू की मात्रा।०१ं-४१' से ०२ं-००' तक ृ की मात्रा।०२ं-०१' से ०२ं-२०'  तक   े की मात्रा।०२ं-२१ से ०२ं-४०' तक ै की मात्रा। ०२ं-४१' से ०३ं-००' तक ो की आत्रा । और , ०३ं-००' से ०३ं-२०' तक ौ की मात्रा लगाकर नाम का प्रथमाक्षर रखें।

जबकि, जिन नक्षत्रों में चारों चरणों में एक ही व्यञ्जन हो वहाँ प्रथम एवम् द्वितीय चरण में मुल वर्ण से नाम का प्रथमाक्षर रहेगा।जबकि, तृतीय और चतुर्थ चरण में ००ं-००' से ००ं-४०' तक ा की मात्रा लगायें। तदनुसार ही आगे भी ००ं-४१' से ०१-२०' तक  ि  की मात्रा लगायें। ०१ं-२१' से ०२ं-००' तक ई की मात्रा ।०२ं-०१' से ०२ं-४०' तक ु की मात्रा । ०२ं-४१' से ०३ं-२० तक ू की मात्रा।और चतुर्थ चरण में ०३ं-२१' से ०४ं-००' तक ृ की मात्रा।०४ं-०१' से ०४ं-४०'  तक   े की मात्रा।०४ं-४१ से ०५ं-२०' तक ै की मात्रा। ०५ं-२१ से ०६ं-००' तक ो की आत्रा । और , ०६ं-०१' से ०६ं-४०' तक ौ की मात्रा लगाकर नाम का प्रथमाक्षर रखें।

नाम की संस्कृत, / हिन्दी या मराठी वर्तनी के अक्षरों के अंक।

नाम सरनेम सहित जन्म नाम के अंको को जोड़कर प्राप्त योगफल का ईकाई अंक जन्मसमय के सायन सौर गतांश के ईकाई अंक दोनों  एक ही हो।

0-   अ,  क,  ट,  प,  ष,  अः, क्ष, ऽ  0

1-  आ,  ख,  ठ,  फ,  स,  त्र ,         1

 2-   इ,   ई,   ग,   ड,  ब,  ह ,         2

 3-   उ,   ऊ,  घ,   ढ,  भ,              3

 4-   ऋ,   ङ, ण,  म,                    4
  
 5-    ए,   च,  त,  य,                    5

 6-    ऐ,   छ,  थ,  र,  ज्ञ,               6

 7-   ओ,  ज,  द,  द,  ल,  ड़,ॉ       7

 8-   औ,  झ,  ध,  व,  ढ़                8
 
 9-    अं,  ञ,   न,  श,                   9

  0-    अ, अः, क,   ट,  प,  ष, ऽ      0

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