ग्रीष्म ऋतु विवरण --- विशेष कर सन 2025 ईस्वी में ---
ऋतुओं का सम्बन्ध सायन सौर संक्रान्तियों और भौगोलिक अक्षांशों से है।
निरयन सौर या नक्षत्रीय सौर वर्ष से ऋतुओं का कोई सम्बन्ध नहीं जोड़ा जा सकता है। अतः सूर्य के निरयन संक्रमण आधारित चान्द्र वर्ष और चैत्र - वैशाख आदि चान्द्र मास से तो ऋतुओं का किञ्चिन्मात्र भी सम्बन्ध नहीं है।
दक्षिण भारत में सातवाहन शासकों ने और उत्तर भारत में कुषाण शासकों ने निरयन सौर संक्रमण आधारित चान्द्र वर्ष शकाब्द के साथ चैत्र-वैशाख आदि चान्द्र मास प्रचलित कर दिया। जो ऋतुओं से बिल्कुल असम्बद्ध है।
22 मार्च 285 ईस्वी को जब अयनांश शुन्य अंश था। अतः
सायन संक्रान्ति और सूर्य का निरयन संक्रमण एक साथ होता था। इसलिए ऋतुओं का आधार सायन सौर संक्रान्तियों और ऋतुओं से असम्बन्धित सूर्य के निरयन संक्रमण के अन्तर पर धर्मशास्त्रियों का ध्यान नहीं गया।
लगभग 800 ईसापूर्व से सन 1000 ईस्वी तक राजा भोज के समय तक अयनांश 10° ही था। अतः केवल दस दिन का अन्तर पड़ता था। इसलिए व्याकरण तथा छन्दशास्त्र के विद्वान लेकिन खगोल तथा सिद्धान्त ज्योतिष की कम जानकारी वाले धर्मशास्त्रियों का ध्यान इस अन्तर पर नहीं गया। महाराजा पृथ्वीराज चौहान के पतन के बाद सन 1206 के बाद कुतुबुद्दीन एबक के गुलाम वंश के शासन और आक्रमणों के कारण भारतीय संस्कृति पतनोन्मुख होने लगी। संस्कृत, धर्मशास्त्र, खगोल और सिद्धान्त ज्योतिष का ज्ञान कुछ शास्त्रियों तक सीमित रह गया। अस्तु इस अन्तर पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
वस्तुतः सम्राट विक्रमादित्य के ज्योतिषाचार्य वराहमिहिर के पहले तक
आर्यावर्त क्षेत्र में ग्रीष्म ऋतु सायन वृषभ और मिथुन के सूर्य में मानी जाती थी।
अर्थात सायन वृषभ संक्रान्ति दिनांक 19 उपरान्त 20 अप्रैल 2025 शनिवार Sunday को उत्तर रात्रि 01:27 बजे से सायन कर्क संक्रान्ति 21 जून 2025 शनिवार को प्रातः 08:13 बजे तक भारत के मध्य क्षेत्र में ग्रीष्म ऋतु रहती है।
जबकि कुरुक्षेत्र हरियाणा, पञ्जाब, उत्तर प्रदेश से उत्तर में ब्रह्मावर्त क्षेत्र में ग्रीष्म ऋतु सायन मिथुन संक्रान्ति 20 उपरान्त 21 मई को उत्तर रात्रि 12:25 बजे से सायन सिंह संक्रान्ति दिनांक 22 जुलाई 2025 मङ्गलवार को सायम् 07:00 बजे तक रहेगी।
वर्तमान में इस अन्तर पर पञ्चाङ्गकार ध्यान नहीं देते हैं और पूरे भारत वर्ष और नेपाल भूटान तक में ग्रीष्म ऋतु सायन वृषभ और मिथुन के सूर्य में ही दर्शाई जाती है।
इसके अलावा
निरयन वृषभ राशि में सूर्य 14 उपरान्त 15 मई 2025 बुधवार Thursday को 00:21 बजे प्रवेश करेंगे।
वृषभ संक्रमण का पुण्य काल 14 जनवरी 2025 बुधवार को सूर्योदय समय (इन्दौर में 05:44 बजे) से सूर्यास्त समय (इन्दौर में07:02 बजे) तक रहेगा। तथा निरयन वृषभ राशि से निरयन मिथुन राशि में सूर्य का संक्रमण
15 जून 2025 रविवार को प्रातः 06:45 होगा।
तदनुसार निरयन मिथुन संक्रमण का पुण्य काल 15 जून 2025 रविवार को प्रातः 06:45 से दोपहर 01:09 बजे तक रहेगा।
सेनापति के ऋतु वर्णन में ग्रीष्म ऋतु वर्णन में इसका उल्लेख ऐसे किया गया है।
*वृष को तरनि तेज, सहसौ किरन करि, ज्वालन के जाल बिकराल बरसत हैं। तपति धरनि, जग जरत झरनि, सीरी छाँह कौं पकरि, पंथी-पंछी बिरमत हैं।*
और भी
रोहिणी नक्षत्र में सूर्य दिनांक 25 मई 2025 रविवार को दिन में 09:32 बजे से 08 जून 2025 रविवार को प्रातः 07:19 बजे तक रहेगा।
ऐसी मान्यता है कि, रोहिणी नक्षत्र के सूर्य में भी बहुत गर्मी होती है।
इतना ही नहीं
निरयन वृषभ राशि के सूर्य में जब चन्द्रमा धनिष्ठा नक्षत्र से रोहिणी नक्षत्र तक रहता है तो उन नौ दिनों को जैन ज्योतिष में धनिष्ठा नवक कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन नौ दिनों में गर्मी बहुत होती है।
इस वर्ष धनिष्ठा नवक 19 मई 2025 को सायम् 07:29 बजे से 27 उपरान्त 28 मई 2025 मङ्गलवार को उत्तर रात्रि 02:50 बजे तक रहेगा।
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