मंगलवार, 27 मई 2025

पर्जन्य देवता की कार्यावधि में आंधी -अन्धड़, तुफानी वर्षा का सम्बन्ध मरुद्गणों से है; न कि, इन्द्र से।

मरुद्गणों का अधिकार आंधी, अन्धड़, तुफान पर है। अर्थात आंधी, अन्धड़, तुफान, और तुफानी वर्षा पर जिसमें गर्जन तर्जन होता है उसके सञ्चालक देवता मरुद्गण हैं।
मुख्य मरुद्गण सात थे। उनके प्रत्येक के छः-छः अनुचर (पुत्र) हैं। इस प्रकार कुल उनचास मरुद्गण हुए।
ये सैनिकों के समान गणवेश में मार्च पास्ट करते हैं।

उमड़-घुमड़ कर आते काले-सफेद, लाल और श्याम वर्णी बादलों से इस रूपक की तुलना करो।
पौराणिक लोग इस घटना का सम्बन्ध इन्द्र से जोड़ते हैं।
जबकि, मरुद्गण इन्द्र के सैनिक हैं।

 श्रीमद्भागवत पुराणोक्त कथा के अनुसार ब्रजवासियों द्वारा बलि पूजा के दिन की जाने वाली (बलि नामक दैत्य जो कुछ काल के लिए इन्द्र पद पर आसीन रहा होगा उस रूप में) इन्द्र की पूजा के कार्यक्रम बलिवर्धन पूजा का विरोध कर गोवर्धन पूजा का उपदेश किया था। तब अतिवृष्टि का सम्बन्ध इन्द्र के कोप से जोड़ा गया, उस समय श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को तत्कालीन गोवर्धन पर्वत की किसी गुफा में  शरण लेकर समय व्यतीत करने की समसामयिक राय दी होगी।
जिससे लोगों ने गोवर्धन पर्वत को ब्रज क्षेत्र रक्षक के रूप देखकर गोवर्धन पूजा प्रारम्भ कर दी।

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