रविवार, 13 अप्रैल 2025

महाभारत युद्ध के बहुत पहले वेदव्यास जी के पुत्र शुकदेव जी ब्रह्म लोक को प्रयाण कर गए थे।

शुकदेव जी ने कभी भी आस्तिक मत से तटस्थता नहीं दर्शाई।
फिर वे कैशोर्य अवस्था तक पहूँचने के पूर्व ही ब्रह्मलोक को सिधार गए।
कृपया महाभारत शान्ति पर्व/ मौक्षधर्म पर्व/ अध्याय ३३२ एवम् ३३३ गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित महाभारत पञ्चम खण्ड (शान्ति पर्व) पृष्ठ ५३२५ से ५३२९ तक  देखें। विशेषकर श्लोक २६-१/२ पृष्ठ ५३२८ देखें।

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