मंगलवार, 4 अप्रैल 2023

हनुमान जयन्ती शब्द सही है। लेकिन इस शब्द का विशिष्ट अर्थ और महत्व है।

व्हाट्सएप सन्देशों के अवलोकन से ज्ञात हुआ कि,
लोग अभी भी *हनुमान जयन्ती शब्द के विषय में अनजान लोगों द्वारा पता नही किस उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से फैलाये गए भ्रम से ग्रसित हैं।* इसलिए पुनः स्पष्टीकरण जारी कर रहा हूँ।
 *जिनको शास्त्रों पर विश्वास है, वे तो मान लेंगे, समझ लेंगे।* लेकिन जिन्हें अनजान मीडिया सन्देश रचियताओं भरोसा है, उनकी मुर्गी की तीन टाँग ही रहेगी। उन्हें केवल ईश्वर ही सुधार सकता है।
 *उत्सव एक कार्यक्रम का नाम होता है। जो किसी नियत स्थान पर, नियत दिन, नियत समय पर मनाया जाता है। इसलिए जिस समय आप सूर्योदय के समय हनुमान जन्मोत्सव की आरती आदि कार्यक्रमो में सम्मिलित थे, मात्र वही हनुमज्जन्मोत्सव था। पूरे दिन नही।* 
 *पूरे दिन तो हनुमान जयन्ती ही रहती है, जो हनुमज्जन्मोत्सव मनाने का आधार है। यदि हनुमान जयन्ती नही होती तो हनुमज्जन्मोत्सव भी नही मनता।* 
वैदिक भाषा छन्दस में जयन्ती का अर्थ विजयी होना था। लेकिन लौकिक भाषा संस्कृत में जयन्ती शब्द का रूढ़ अर्थ जन्मदिन या जन्म तिथि होता है। वहीं पुराणों में जन्म तिथि और जन्म नक्षत्र (जन्म के समय चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर था) इन दोनों के योग को जयन्ती योग कहते हैं। जैसे अमान्त श्रावण पूर्णिमान्त भाद्रपद कृष्ण  पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र हो तो यह जयन्ती योग कहलाता है।
जबकि जन्मदिन/ जयन्ती को जन्म समय में जन्म का उत्सव मनाना जन्मोत्सव कहलाता है। जैसे 
चैत्र शुक्ल नवमी को मध्याह्न के समय श्रीराम जन्मोत्सव मनाते हैं।
चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को सूर्योदय के समय हनुमत् जन्मोत्सव मनाते हैं। और
जन्माष्टमी को मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं।

 *हनुमान जयन्ती शब्द सही है।* लेकिन इस शब्द का विशिष्ट अर्थ और महत्व है।
 *हनुमान जी की जन्म तिथि चैत्र शुक्ल पूर्णिमा और जन्म नक्षत्र चित्रा के योग होनें पर हनुमज्जयन्ती शब्द का प्रयोग होता है; हनुमज्जन्मोत्सव शब्द का नही। यह शास्त्रीय मत है।* 

आजकल सोशल मीडिया के माध्यम से गलत जानकारी प्रेषित कर रहे हैं कि हनुमज्यन्ती न कहकर इसे हनुमज्जन्मोत्सव कहना चाहिए, क्योंकि जयन्ती मृतकों की मनायी जाती है । 

सत्य तो यह है कि,
"जो जय और पुण्य प्रदान करे उसे जयन्ती कहते हैं ।"
"जयं पुण्यं च कुरुते जयन्तीमिति तां विदुः।"
 *स्कन्दमहापुराण, तिथ्यादितत्त्व, में उल्लेख है कि, हनुमान जयन्ती कब होती है?*
*जब चैत्र शुक्ल पूर्णिमा और चित्रा नक्षत्र का योग हो।* 

 *"पूर्णिमाख्ये तिथौ पुण्ये चित्रानक्षत्रसंयुते॥"* 
क्योंकि,
 एकादशरुद्रस्वरूप भगवान् शिव ही हनुमान् जी महाराज के रूप में भगवान् विष्णु की सहायता के लिए चैत्रमास की चित्रा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा को अवतीर्ण हुए हैं ।
"यो वै चैकादशो रुद्रो हनुमान् स महाकपिः।
   अवतीर्ण: सहायार्थं विष्णोरमिततेजस: ॥"
(स्कन्दमहापुराण,माहेश्वर खण्डान्तर्गत, केदारखण्ड-८/१००)

 *उत्तर प्रदेश में अयोध्या और काशी में श्री रामानन्द सम्प्रदाय के अनुसार अमान्त आश्विन, पूर्णिमान्त कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी जब स्वाती नक्षत्रयुक्त हो तब हनुमान जयन्ती मनाते हैं।* 

 *"स्वात्यां कुजे शैवतिथौ तु कार्तिके कृष्णेSञ्जनागर्भत एव मेषके।*
*श्रीमान् कपीट्प्रादुरभूत् परन्तपो व्रतादिना तत्र तदुत्सवं चरेत्॥"*
 -- *वैष्णवमताब्जभास्कर* 

ऐसे ही
जब अमान्त श्रावण, पूर्णिमान्त भाद्रपद कृष्ण अष्टमी अर्धरात्रि में पहले या बाद में रोहिणी नक्षत्र से युक्त हो जाती है तब इसकी संज्ञा श्रीकृष्णजयन्ती हो जाती है ।

"रोहिणीसहिता कृष्णा मासे च श्रावणेSष्टमी।
अर्द्धरात्रादधश्चोर्ध्वं कलयापि यदा भवेत्।
जयन्ती नाम सा प्रोक्ता सर्वपापप्रणाशिनी।।"

और इस रोहिणी नक्षत्र युक्त श्रीकृष्ण जयन्ती व्रत का महत्त्व रोहिणी नक्षत्र के बिना श्रीकृष्णजन्माष्टमी से अधिक माना गया है । 
जन्म तिथि और जन्म नक्षत्र का योग होनें पर जयन्ती कही जाती है । 
यदि रोहिणी का योग न हो तो जन्माष्टमी की संज्ञा जयन्ती नहीं हो सकती--

"चन्द्रोदयेSष्टमी पूर्वा न रोहिणी भवेद् यदि ।
तदा जन्माष्टमी सा च न जयन्तीति कथ्यते॥" 
--नारदीयसंहिता

इसलिए शास्त्र प्रमाण है कि, हनुमज्जयन्ती शब्द गलत नही है। इसका जीवित या मृत लोगों से कोई सम्बन्ध नहीं है। परन्तु जन्मदिन/ जन्मतिथि या जन्मोत्सव पर्व से जयन्ती शब्द न्यारा है।

जैसे स्वतन्त्रता दिवस पन्द्रह अगस्त को पूरे दिनभर रहता है; गणतन्त्र दिवस २६ जनवरी को पूरे दिन भर रहता है, लेकिन उत्सव प्रातः काल में ही मनता है।
ऐसे ही हनुमान जयन्ती पूरे दिनभर रहती है, इसलिए बधाई, शुभकामनाएँ हनुमान जयन्ती की दी जाती है, सिमित समय होनें वाले जन्मोत्सव की नही।

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