*नोट -- पहले बुध का पौराणिक मन्त्र अच्छी तरह याद करलें।* --
अन्वय -- उच्चारण की सुविधा हेतु।
प्रियङ्गु कलिका श्यामम्
रुपेण अप्रतिम् बुधम् ।
सौम्यम् सौम्यगुण उपेतम्
तम् बुधम् प्रणमाम्यहम् ।।
बुध का पौराणिक मन्त्र --
*प्रियङ्गुकलिकाश्यामम् रुपेणाप्रतिम् बुधम्।*
*सौम्यम् सौम्यगुणोपेतम् तम् बुधम् प्रणमाम्यहम् ।।*
फिर निम्नांकित सामग्रियाँ मंगलवार तक एकत्र कर अपने घर के देवस्थान या भण्डारगृह या रसोईघर में सुरक्षित रख लें।सम्भव हो/ घर में ही पौधे में लगा हो तो हरित पुष्प बुधवार को सुबह भी ले सकते हैं।
बुधवार को सुर्योदय के पहले ही स्नान कर निम्नांकित समस्त दान सामग्री लेकर निकटतम किसी भी देवस्थान पर पहूँच जायें क्योंकि बुधवार को सुर्योदय होते ही तत्काल बाद में किन्तु बीस मिनट के अन्दर ही निकटतम किसी भी देवस्थान में ये दान सामग्रियाँ ईश्वरार्पण कर प्रार्थना करें कि है प्रभु ( गोत्र सहित अपना नाम लेकर) मैं बुध को बल प्रदान करने के निमित्त बुध की अनुकूलता प्राप्तर्थ्य दान कर रहा हूँ। कृपया योग्य पात्र तक पहूँचाने की कृपा करें। क्योंकि योग्य पात्र खोजना मेरे सामर्थ्य में नही है। यह निवेदन कर दान सामग्री ईश्वरार्पण करने के पहले।
बुध के पौराणिक मन्त्र --
प्रियङ्गुकलिकाश्यामम्
रुपेणाप्रतिम् बुधम्।
सौम्यम् सौम्यगुणोपेतम्
तम् बुधम् प्रणमाम्यहम् ।।
का एक बार जप कर दान सामग्री ईश्वर को समर्पित करदें।
आपको ईश्वर को समर्पित करना है अतः मन्दिर बन्द हो तो द्वार पर रखदें। मन्दिर खुला हो किन्तु पुजारी हो या न हो केवल मन्दिर में दान रखने की जगह रखदें।किसी से कोई बात नही करना है।
बध की दान सामग्रियाँ निम्नलिखित हैं--
1-- स्वर्ण का आभुषण।
(सामर्थ्य अनुसार सोने का काँटा से हार तक कुछ भी चलेगा।)
2 -- पन्ना ( Emerald .)
कोलम्बिया का पन्ना लें।
(अथवा हरित नील मणि Aquamarine लें
या सामर्थ्य न हो तो इमिटेशन ही ले लें।)
3 -- गज (हाथी) ।
यदि सामर्थ्य न हो तो --
काँसे या चान्दी के पत्रे पर उकेरी हाथी या बुध की मुर्ति (जो वास्तु पुजा में लगती है) ले लें।
4 -- काँस्य / काँसे का बर्तन।
सामर्थ्य अनुसार प्लेट, थाली, कटोरी से लेकर घड़े तक कुछ भी लेलें (चलेगा)।
5 -- हरित वस्त्र / हरा कपड़ा
(यानि शुद्ध रेशम का या शुद्ध काटन का हरे रङ्ग का कपड़ा (भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के हरे रंग जैसा हरा कपड़ा। )
(शुद्ध रेशम या सुती शर्ट पीस या ब्लाउज पीस या रुमाल यथा सामर्थ्य जो ले सकें।लेलें)
6 -- खड़े हरे मूँगिया मूँग / पुरे हरे मूँगिया मूँग (सवाया लें।)
(सवा क्विण्टल या सवाधड़ी या सवा किलोग्राम या सवा सौ ग्राम या सवापाव , खड़ेमूँग यानि पुरे मूँग लेलें ।)
7 -- देशीगौ के दूध की छाँछ से बना शुद्ध घीँ। (सवाया लें।)
(सवा धड़ी या सवा किलोग्राम या सवा सौ ग्राम या सवापाव देशीगाय के दुध की छाँछ से बना शुद्ध घीँ ही लें।)
8 -- हरित पुष्प / हरा रङ्ग का फुल ले लें।
(हरा गुलाब या हरा चम्पा, केतकी (केवड़ा) या कोई भी फुल ले लें)
और सम्भव हो तो ये तीन वस्तुएँ भी ले सकते हैं।
9 -- वेदिक विष्णुसुक्त, उत्तर नारायण सुक्त सहित पुरुषसूक्त, श्रीमद्भगवद्गीता, वाल्मीकि रामायण, गर्ग संहिता, विष्णु सहस्रनाम, गजेन्द्र मौक्ष विष्णु पुराण, मत्स्य पुराण, कुर्म पुराण, वराहपुराण, नृसिंह पुराण, वामन पुराण, भागवत पुराण, नारद पुराण, गरुड़पुराण, आदि पुस्तक यथा सामर्थ्य कुछ भी लें।
10 -- बिदायरा या बरधारा की जड़ ।
(बिदायरा या बरधारा की जड़
आपके दाहिने हाथ की कनिष्ठा उँगली के बराबर ही लें।)
11 -- अपामार्ग, (आँधीझाड़ा), का पौधा लें।
उक्त दान सामग्री ईश्वरार्पण करने के तत्काल पश्चात बुध का पौराणिक मन्त्र --
प्रियङ्गुकलिकाश्यामम् रुपेणाप्रतिम् बुधम्।
सौम्यम् सौम्यगुणोपेतम्
तम् बुधम् प्रणमाम्यहम् ।।
का जप करें। एक बार पुनः जप कर घर आ जायें।
उक्त समस्त क्रियाओं के क्रियान्वयन बुधवार को सुर्योदय के पश्चात सुर्योदय से बीस मिनट के अन्दर ही करना है। अतः चाहें तो एक दिन पहले रिहल्सल करलें।
*घर पर जप करने हेतु--*
घर आने के बाद जब भी समय मिले दिन में, रात में, देवस्थान/ देवघर में या सोफे पर जहाँ कर सकें शान्ति से बैठकर बुध का पौराणिक मन्त्र --
प्रियङ्गुकलिकाश्यामम् रुपेणाप्रतिम् बुधम्।
सौम्यम् सौम्यगुणोपेतम्
तम् बुधम् प्रणमाम्यहम् ।।
का जप करें।
नोट --
इस बीच हर दिन कम से कम एक। बार 108 बार या अति विकट स्थिति में कम से कम ग्यारह बार पौराणिक मन्त्र का मान्सिक जप अवश्य करें। अपरिहार्य परिस्थितियों में भी कम से कम एकबार तो जप करें ही।
चाहे घर में या स्वयम् को जनन अशोच (बिरदी), मरण अशोच (सुतक) हो, स्त्रियों का मासिक धर्म अवधि हो, घरमें कोई बिमार हो और उसकी सेवा में व्यस्त हों स्वयम् बिमार हो,या यात्रा में हो या कही कर्त्तव्य पर तैनात हों,वैवाहिक आदि किसी कार्यक्रम मे व्यस्त हों,किसी कारण स्नान न कर पाये हों कैसी भी परिस्थिति हो 108 बार या 11 बार या एक बार तो मान्सिक जप कर ही लें।
एक बार में कम से कम 108 मनकों की एक माला जप पुर्ण होने पर एक लिख लें।
यथा सम्भव एक माला अवश्य जपें।
एक माला जपने पर 100 ( एक सौ) मन्त्र ही गिनती में माने।
दो माला पर दो सौ मन्त्र माने।
माला तुलसी की हो। 108 मनकों की ही लें।
फुल / सुमेरु पर्वत आने पर माला पलट दें क्योंकि सुमेरु का उल्लङ्घन नही करना है।
आसन पर बैठें तो आसन छोड़ने के पहलें आसन थोड़ उँचा कर भूमि पर जल छिड़क कर भूमि का जल नैत्रों पर या भृकुटि मध्य लगाकर ही आसान से उठें।
*निर्धारित जप संख्या 6,000 (छः हजार) यानि 60 माला पुर्ण होने के बाद अगले बुधवार को सुर्योदय होते ही सुर्योदय से बीस मिनट के अन्दर के कार्य कर्म --*
6,000 (छः हजार ) मन्त्र जप यानि 108 मनकों की 60 माला जप पुर्ण होंने के बाद जो भी बुधवार आये उस दिन पुनः सुर्योदय के तत्काल पश्चात किन्तु सुर्योदय के बीस मिनट के अन्दर
1-- स्वर्ण का आभुषण।
(सामर्थ्य अनुसार सोने का काँटा से हार तक कुछ भी चलेगा।)
2 -- पन्ना ( Emerald .)
कोलम्बिया का पन्ना लें।
(अथवा हरित नील मणि Aquamarine लें
या सामर्थ्य न हो तो इमिटेशन ही ले लें।)
3 -- गज (हाथी) ।
यदि सामर्थ्य न हो तो --
काँसे या चान्दी के पत्रे पर उकेरी हाथी या बुध की मुर्ति (जो वास्तु पुजा में लगती है) ले लें।
4 -- काँस्य / काँसे का बर्तन।
सामर्थ्य अनुसार प्लेट, थाली, कटोरी से लेकर घड़े तक कुछ भी लेलें (चलेगा)।
5 -- हरित वस्त्र / हरा कपड़ा
(यानि शुद्ध रेशम का या शुद्ध काटन का हरे रङ्ग का कपड़ा (भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के हरे रंग जैसा हरा कपड़ा। )
( सुती या शुद्ध रेशम का शर्ट पीस या ब्लाउज पीस या रुमाल यथा सामर्थ्य जो ले सकें।लेलें)
6 -- खड़े हरे मूँगिया मूँग / पुरे हरे मूँगिया मूँग (सवाया लें।)
(सवा क्विण्टल या सवाधड़ी या सवा किलोग्राम या सवा सौ ग्राम या सवापाव , खड़ेमूँग यानि पुरे मूँग लेलें ।)
7 -- देशीगौ के दूध की छाँछ से बना शुद्ध घीँ। (सवाया लें।)
(सवा धड़ी या सवा किलोग्राम या सवा सौ ग्राम या सवापाव देशीगाय के दुध की छाँछ से बना शुद्ध घीँ ही लें।)
8 -- हरित पुष्प / हरा रङ्ग का फुल ले लें।
(हरा गुलाब या हरा चम्पा या केतकी (केवड़ा) पुष्प या कोई भी फुल ले लें)
और सम्भव हो तो ये तीन वस्तुएँ भी ले सकते हैं।
9 -- वेदिक विष्णुसुक्त, उत्तर नारायण सुक्त सहित पुरुषसूक्त, श्रीमद्भगवद्गीता, वाल्मीकि रामायण, गर्ग संहिता, विष्णु सहस्रनाम, गजेन्द्र मौक्ष विष्णु पुराण, मत्स्य पुराण, कुर्म पुराण, वराहपुराण, नृसिंह पुराण, वामन पुराण, भागवत पुराण, नारद पुराण, गरुड़पुराण, आदि पुस्तक यथा सामर्थ्य कुछ भी लें।
10 -- बिदायरा या बरधारा की जड़ ।
(बिदायरा या बरधारा की जड़
आपके दाहिने हाथ की कनिष्ठा उँगली के बराबर ही लें।)
11 -- अपामार्ग, (आँधीझाड़ा), का पौधा लें।
उक्त दान सामग्री ईश्वरार्पण करने के तत्काल पश्चात बुध के पौराणिक मन्त्र --
प्रियङ्गुकलिकाश्यामम् रुपेणाप्रतिम् बुधम्।
सौम्यम् सौम्यगुणोपेतम्
तम् बुधम् प्रणमाम्यहम् ।।
का जप करें। जप ईश्वरार्पण करके एक बार पुनः जप कर घर आ जायें।
बुध का पौराणिक मन्त्र जाप बन्द करदें अब नही करना है।
अनुष्ठान पुर्ण हो चुका है।
माता- पिता, गुरु- अतिथि, गौ- ब्राह्मणों ,सुर्य - चन्द्रमा, , बृहस्पत्ति,ध्रुव तारा, विद्युत- पर्जन्य, आकाश,वायु,अग्नि, जल और भूमि को प्रणाम करके सबका उपकार माने और धन्यवाद दें।
*सहयोगी उपाय*
बुध का अधिदेवता और प्रत्यधिदेवता दोनो ही विष्णु है। अतः विष्णु आराधना,
प्रणाम करनें के मन्त्र ⤵️
ॐ नमो नारायणाय ।
ॐ नमोभगवते वासुदेवाय।
ध्यान मन्त्र⤵️
शान्ताकारम् भुजगशयनम पद्मनाभम् सुरेशम्, विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम्. योगिभिर्ध्यानगम्यम् , वन्दे विष्णु भवभय हरम् सर्वलोकैकनाथम्।। मन्त्र के अनुसार ध्यान करें।
यजुर्वेद अध्याय 31 में उल्लेखित ---
पुरुषसूक्त और उत्तर नारायण सुक्त से स्तुति करें।
विष्णु सहस्त्रनाम और श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ और अध्ययन, चिन्तन , मनन करें।
विष्णु यज्ञ स्वरूप हैं। अतः पञ्चमहायज्ञ करें। अष्टाङ्ग योगाभ्यास करें। नित्य प्रातः सुर्योदय से पूर्व सन्ध्या पूजन और गायत्री मन्त्र जप कर उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दे कर अग्निहोत्र करें। और सायम् काल में भी सूर्यास्त के पहले सन्ध्या पूजन और गायत्री मन्त्र जप कर सूर्य को अर्घ्य दे कर अग्निहोत्र करें।
भूमि भगवान नारायण की पत्नी हैं अतः प्रातः भूस्पर्ष के पहले भूमि वन्दना
समुद्र वसने देवि, पर्वतस्तन मण्डिते;
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यम् पादस्पर्शम् क्षमस्व में।
करनें से भी बुध प्रसन्न रहते हैं। भूमि के स्वामी भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं।
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