मंगलवार, 16 नवंबर 2021

पारसियों, यहुदियों, ईसाइयों और इस्लाम का ईश्वर कौन है?

पारसियों का ईश्वर -अहुरमज्द, ऋषि -जरथुस्त्र, ग्रन्थ-जेन्द अवेस्ता।
आदित्य वरुण, पुषा आदि को प्राणवान होने/बलिष्ठ होने तथा सुरापान न करने के कारण वेदों में असुर कहा गया है। अग्नि को विश्वैदेवाः का मुख माना गया है। दस विश्वैदेवाः में एक पुरुरवा भी है। 
पारसियों का ईश्वर अहुरमज्द यानी असुर महत या महाअसुर हैअग्नि को वे अहुरमज्द का प्रतीक/ प्रतिमा मानते हैं। ऋग्वेद में अग्नि को प्रथम पुज्य और यह्व कहा गया है। यह्व का अर्थ होता है महादेव अर्थात देवताओं में वरिष्ठ । मतलब देवताओं में अग्नि बड़ा होनें के कारण प्रथम पूज्य है।

जैसे सवितृ की प्रतिमा सूर्य को माना गया है, वैश्वानर अग्नि को विश्वैदेवाः का मुख माना गया है। विष्णु की प्रतिमा आकाश को माना जाता है। वैसे ही पारसी सम्प्रदाय के अनुसार ईश्वर तो अहुर्मज्द अर्थात महाअसुर है और ईश्वर का प्रतिक चिह्न अग्नि है।
अर्थात पारसियों के लिए अग्नि उनके ईश्वर अहुर मज्द की प्रतिमा है। दस विश्वैदेवाः में एक पुरुरवा भी है। अग्नि को विश्वैदेवाः का मुख माना गया है। अर्थात पुरुरवा से पारसियों का सम्बन्ध भी अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ लगता है।
चन्द्रमा के पुत्र बुध का विवाह वैवस्वत मनु की पुत्री इला से हुआ। इला और बुध का पुत्र पुरुरवा हुआ। बुध की पत्नी इला का पुत्र होनें के कारण पुरुरवा को एल कहा जाता है।

ब्राह्मण ग्रन्थ रचनाकाल तक असीरिया (इराक) के असुरोपासक अर्थात असुर तान्त्रिक भी वेद को पूर्णतः नकारते भी नही थे और पूर्णतः स्वीकारते भी नही थे।  
पाणिनि ने वैदिक भाषा को छन्दस कहा है। पारसी शब्द जेन्द वैदिक  शब्द छन्द का ही रूप लगता है। 
ऐसी मान्यता है कि, अथर्वेद के  ब्राह्मणग्रन्थ अवेस्ता की रचना महर्षि अङ्गिरा ने की थी।अवेस्ता पर  जेन्द व्याख्या/ टीका जरथुस्त्र द्वारा की गई। इसलिए पारसियों का मुख्य धर्मग्रन्थ जो उपलब्ध है वह ग्रन्थ जेन्दावेस्ता कहलाता है। जरथुस्त्र इराक से लगी सीमा के निवासी थे इस कारण असीरिया का  असूरोपासना का प्रभाव उन पर भी था। इस कारण जरथुस्त्र असुरोपासक थे।
अथर्ववेद के ब्राह्मण ग्रन्थ अवेस्ता पर जेन्द व्याख्या असूरोपासक जरथुस्त्र द्वारा की गई। उस जेन्दावेस्ता के ग्रन्थ के आधार पर पारसी सम्प्रदाय का आरम्भ हुआ इसलिए पारसी ईश्वर को अहुरमज्द कहते है।
जैसे यजुर्वेद में ब्राह्मण भाग मिश्रित होनें के कारण यजुर्वेद की तैत्तिरीय संहिता को कृष्ण यजुर्वेद कहा जाता है उसी आधार पर  जेन्द अवेस्ता की स्थिति भी अथर्ववेद के कृष्ण ब्राह्मण ग्रन्थ जैसी हो गई। क्योंकि, जरथुस्त्र ने अथर्ववेद के ब्राह्मण ग्रन्थ अवेस्ता में जेन्द व्याख्या/ टीका मिश्रित कर दी।इस कारण अवेस्ता का स्वतन्त्र ग्रन्थ उपलब्ध नहीं है। 
चूँकि, मूल ग्रन्थ अवेस्ता अथर्ववेद का ब्राह्मण ग्रन्थ था अर्थात अवेस्ता अथर्ववेद का भाष्य ग्रन्थ था। अतः अवेस्ता में वैदिक भाषा और वैदिक मान्यताएँ होना स्वाभाविक ही है। 

यहुदियों और ईसाइयों का ईश्वर-याहवेह (यहोवा), यहुदियों के ऋषि - इब्राहिम, सुलेमान राजा, दाउद, और मूसा । यहुदियों के ग्रन्थ ---  तनख  दाऊद की किताब जुबेर, मूसा की किताब तोराह (बायबल ओल्ड टेस्टामेंट)। ये पुस्तकें सीरिया खाल्डिया  और बेबीलोनिया (इराक) की पुरानी अरामी भाषा ( पश्चिमी आरमाईक) भाषा में लिखित है। हिब्रू भाषा भी अरामी भाषा का रूप ही है।
"हिब्रू बाइबल या तनख़ यहूदियों का मुख्य धार्मिक ग्रन्थ है।[1][2] इसकी रचना 600 से 100 ईसा पूर्व के समय में विभिन्न लेखकों द्वारा विभिन्न देशों में की गई है।[3] असल में हिब्रू बाइबल तीन अलग अलग शास्त्रों का संकलन है। जो कि प्राचीन यहूदी परम्परा का आधार हैं। अतः तनख़ के तीन भाग हैं-"

"निम्नांकित 39 किताबे प्रोटेस्टेंट बाइबिल के पूर्वार्ध (पुराना नियम/ ओल्ड टेस्टामेंट) में हैं, 
"विधान -- १ उत्पत्ति, २ निर्गमन, ३ लैव्य व्यवस्था, ४ गिनती और ५ व्यवस्था विवरण"
"इतिहास --- १ यहोशु २ न्यायियों ३ रूत ४ प्रथम शमुऐल ५ द्वितीय शमुऐल ६ प्रथम राजाओं का व्रतांत ७ द्वितीय राजाओं का व्रतांत ८ इतिहास प्रथम ९ इतिहास द्वितीय"।
"भजन ---  १ एज्रा २ नहेम्याह ३ ऐस्तर ४ अय्यूब ५ भजन संहिता ६ नीति वचन ७ सभोपदेशक ८ श्रेष्ठगीत"।
"नबी --- १ यशायाह २ यिर्मयाह ३ विलापगीत ४ यहेजकेल ५ दानिय्येल ६ होशे ७ योएल ८ आमोस ९ ओबध्याह १० योना ११ मीका १२ नहूम १३ हबक्कूक १४ सपन्याह १५ हाग्गै १६ जकर्याह १७ मलाकी।"
५+९+८+१७ =३९ पुस्तकें।
"यह 39 किताबे प्रोटेस्टेंट बाइबिल के पूर्वार्ध में हैं, तथा कैथोलिक बाइबिल के पूर्वार्ध में 46, जबकि ऑर्थोडॉक्स बाइबिल के पूर्वार्ध में 49 किताबें शामिल हैं। ये चार भागों में विभाजित हैं
ईसाइयों के ऋषि उपर्युक्त के अलावा यीशु। और ईसाइयों के ग्रन्थ उपर्युक्त के अलावा एन्जिल (बायबल नया नियम) यह ग्रीक (युनानी) भाषा में लिखित है।

चन्द्रमा का पुत्र बुध हुआ। और वैवस्वत मनु की पुत्री इला हुई। चन्द्रमा के पुत्र बुध का विवाह वैवस्वत मनु की पुत्री इला से हुआ। इला और बुध का पुत्र पुरुरवा हुआ।  बुध की पत्नी इला का पुत्र होनें के कारण पुरुरवा को एल कहा जाता है।
दस विश्वैदेवाः में एक पुरुरवा भी है। वेदों में अग्नि को विश्वैदेवाः का मुख माना गया है। 
इला का पुत्र एल पुरुरवा चन्द्रमा का पौत्र था। इसलिए पुरुरवा से उत्पन्न जातियों को चन्द्रवंशी  कहा जाता है। जिन्हें अंग्रेजी में सेमेटिक (चन्द्रवंशी) कहते हैं।
ऋग्वेद में अग्नि को प्रथम पुज्य और यह्व कहा गया है। जिसका मतलब महादेव / देवताओं में वरिष्ठ होता है। )
बाइबल पुराना नियम में उत्पत्ति नामक प्रथम पुस्तक से ही यहुदियों (और ईसाइयों) के ईश्वर का नाम याहवेह या यहोवा है।जो संस्कृत के यह्व शब्द से बना है ।
बायबल पुराना नियम में एल ईश्वरवाचक शब्द (जातिवाचक सञ्ज्ञा) है। बाइबल पुराना नियम के अनुसार यहोवा उपर आसमान से उतरता है और मूसा को दर्शन देता है। मुसा उसका तेज नही सह पाता अतः दण्डवत प्रणाम करता है।
बाइबल नया नियम के अनुसार यहोवा ईसा मसीह को अपने सिहासन पर साथ मे बिठाता है।
मतलब यहोवा एकदेशी है, एक लोक विशेष का निवासी है। सिंहासन पर विराजमान होता है अर्थात सर्वव्यापक नही। यहोवा सर्वव्यापी नहीं है अतः जनक, प्रेरक रक्षक नही हो सकता।

इस्लाम का ईश्वर-अल्लाह / इलाही। इस्लाम के ऋषि- मोह मद, इस्लाम की पुस्तके - मुख्य पुस्तक - कुरान, अन्य पुस्तकें- हदीसें।
इस्लाम का ईश्वर (इलाही) को अल्लाह कहा गया है। ईलाही शब्द स्पष्ट रूप से ईला पुत्र पुरुरवा से सम्बन्धित है। और अल्लाह भी ईलाही का दुसरा रूप है। जो सातवें आसमान (स्थान विशेष) पर बैठता है। अतः सर्वव्यापी नही है। अतः जनक, प्रेरक और रक्षक नही हो सकता।
सारांश में निष्कर्ष ---
उक्त सभी में पुरुरवा एक समान रूप से सम्बन्धित है। पुरुरवा के पुत्र आयु का पालन पोषण स्वयम् पुरुरवा को ही करना पड़ा। क्योंकि अप्सरा उर्वशी आयु को जन्म देकर, पुरुरवा को सोपकर इन्द्रलोक/ स्वर्ग को लौट गई थी।
बाइबल पुराना नियम की उत्पत्ति नामक पुस्तक में आदम को भी एल यहोवा के द्वारा उत्पन्न और पालित बतलाया गया है। 

मिश्र के पिरामिड मृगशीर्ष नक्षत्र के ओरायन के प्रतीक हैं। मृगशीर्ष का स्वामी सोम है। मतलब सूर्य पूजा मिश्र का धर्म भी सोम प्रधान है। यहुदियों के मुख्य पेगम्बर मूसा मिश्र में ही जन्में, पले और बड़े थे।

यीशु स्वयम् यहूदी थे।अतः बायबल का ओल्ड टेस्टामेण्ट यहूदी और ईसाई दोनों मत /पन्थों का धर्मग्रन्थ है। जिसे इस्लाम भी स्वीकारता है। इस्लाम बायबल न्यु टेस्टामेण्ट को भी स्वीकारते हैं। तीनों मत/ पन्थों को मुस्लिम भी शरियत में शरीक मानते हैं।
अर्थात तीनों मत/पन्थ एल पुरुरवा को ही ईश्वर मानते हैं।



उक्त लेख का संक्षिप्त रूप में देख सकते हैं, इस ब्लॉग में।⤵️
महा असुर से अहुर मज्द, एल से एल, अल, अल्लाह, इलाही और यह्व से याहवेह (यहोवा)
http://jitendramandloi.blogspot.com/2022/10/blog-post_19.html

"चन्द्रवंश के विस्तृत वर्णन हेतु कृपया मेरा ब्लॉग देखें-
वैदिक सृष्टि उत्पत्ति सिद्धान्त के अन्तर्गत वंश वर्णन विष्णु पुराण के आधार पर।"
http://jitendramandloi.blogspot.com/2021/09/blog-post_22.html

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