बुधवार, 29 जनवरी 2025

भारतीय जनता के श्रद्धेय नेता

 सावरकर से लेकर आज तक मोहनदास करमचन्द गांधी और जवाहरलाल नेहरू, फिरोज गांधी, इन्दिरा गांधी तथा राजीव गांधी और कम्युनिस्टों के विरुद्ध यही बातें कही जाती रही है।
लेकिन यह कोई नहीं कहता की, भारतीय सनातन धर्मियों का नेतृत्व करने में हमारी असफलता ही गांधी - नेहरु - इन्दिरा की सफलता रही।
भारतीय जनता की श्रद्धा लाला लाजपतराय द्वारा 1921 में, स्थापित गैर-लाभकारी कल्याणकारी संगठन, सर्वेंट्स ऑफ़ द पीपल सोसाइटी के प्रति थी । लेकिन लाला लाजपतराय जी के बलिदान के बाद उसे कोई चला नहीं पाया।
भारतीय जनता की श्रद्धा पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल द्वारा स्थापित और पण्डित चन्द्रशेखर आजाद द्वारा समर्थित हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन में थी। लेकिन इन क्रान्तिकारयों बलिदान के बाद उस सङ्गठन को कोई चला नहीं पाया।
भारतीय जनता की श्रद्धा सुभाषचन्द्र बोस द्वारा स्थापित ऑल इंडिया फार्वर्ड ब्लाक से अधिक आजाद हिन्द सेना में थी। लेकिन सुभाष चन्द्र बोस की विमान दुर्घटना के बाद इस आजाद हिन्द सेना का सञ्चालन ठप हो गया।
इनका प्रभाव इतना था कि, घर घर में बच्चों के नाम चन्द्रशेखर और सुभाष रखे जाने लगे

ऐसा प्रभाव ऐसी श्रद्धा सावरकर और हेड गवार के प्रति केवल मध्य भारत में बसे महाराष्ट्रीय लोगों में ही पाई जाती है। महाराष्ट्र में तक नहीं है।

इसके लिए हमेशा सावरकर पन्थियों और रा.स्व.से.संघ के कार्यकर्ताओं ने जनता को मुर्ख, दोगले हिन्दू कहकर उनको अपने से और दूर कर लिया।
अड़वानी, तोगड़िया और गोविन्दाचार्य के प्रयासों तथा जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन एवम अन्ना आन्दोलन का लाभ उठाकर भाजपा सत्ता में आ पाई।
लेकिन इन्हें कांग्रेस के विरुद्ध दुष्प्रचार के अलावा कुछ आता ही नहीं है।

नेहरू के नाम पर एक्सीडेण्टल हिन्दू काला कथन भी इनकी अपनी रचना है।
फेक्ट चेक में यह पाया गया कि, नेहरू ने स्वयम् को एक्सिडेंटल हिन्दू कहने वाला कोई स्टेटमेंट कभी नहीं दिया। किसी ने पुस्तक में अपने मन से यह जोड़ दिया था। बिना जाँच किये उसी झूठ को पकड़ कर चला रहे हैं।

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